Jamtara: कोरोना काल में अंतिम संस्कार का भी स्वरूप बदल गया है. मरनेवालों को कंधा तक नसीब नहीं हो पा रहा है. यहां तक कि लोग अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं जुट रहे हैं. एक ऐसा ही मामला जामताड़ा के करमाटार प्रखंड अंतर्गत शीतलपुर गांव से सामने आया है.


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यहां के रहनेवाले हुरु पंडित का गुरुवार को देहांत हो गया. वह कर्माटांड़ स्थित डाकघर में कार्यरत थे. इनकी पत्नी का भी 15 दिन पूर्व में ही देहांत हो चुका है और बेटा उदलबनी में कोरोना पॉजिटिव होने के कारण एडमिट है. दुख और चिंताग्रस्त होने के कारण इनकी मृत्यु हुई है.


वहीं, मृतक के घर में कोई नहीं होने के बावजूद अंतिम संस्कार के लिए लोग सामने नहीं आ रहे थे. कुछ ग्रामीण एवं भाजपा के करमाटॉड़ प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र मंडल द्वारा करमाटार अंचलाधिकरी, बीडीओ, थाना प्रभारी तथा जिले के पदाधिकारियों को भी खबर की गई लेकिन किसी ने भी मानवता नहीं दिखाई और ना ही किसी प्रकार की एंबुलेंस और लकड़ी की व्यवस्था इन पदाधिकारियों द्वारा की गई.


अंत में ग्रामीण ही मृतक को ठेले पर लादकर श्मशान ले गए तथा उन्होंने ही लकड़ी की व्यवस्था कर हुरु पंडित का अंतिम संस्कार किया. 


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वहीं, मामले को लेकर जामताड़ा भाजपा जिला अध्यक्ष सोमनाथ सिंह ने कहा कि 'इससे प्रतीत होता है कि जामताड़ा जिले में रहने वाले जिले के पदाधिकारियों के अंदर मानवता और संवेदनशीलता नहीं बची है.'


भाजपा नेता राजेंद्र राउत ने कहा कि 'जामताड़ा जिला के उपायुक्त एवं अन्य पदाधिकारियों को ऐसे मामले में गंभीर होकर मानवता की सेवा करना चाहिए.'


इधर, मामले पर जामताड़ा के विधायक और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी ने कहा कि 'भाजपा सिर्फ प्रोपेगेंडा फैलाने में विश्वास करती है.' उन्होंने कहा कि 'ऐसा नहीं है, सरकार ने अंतिम संस्कार के लिए गाइडलाइन भी जारी की हैं, प्रशासन सरकार के गाइडलाइन को ही फॉलो कर रही है.'


(इनपुट- देबाशीष भारती)