Ranchi: झारखंड विधानसभा ने विभिन्न श्रेणियों में दिए जाने वाले कुल आरक्षण को बढ़ाकर 77 प्रतिशत करने संबंधी एक विधेयक शुक्रवार को पारित किया. विधानसभा के विशेष सत्र में झारखंड पदों और सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम, 2001 में एक संशोधन पारित करके एससी, एसटी, ईबीसी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्लयूएस) के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण 60 प्रतिशत से बढ़ा कर 77 फीसदी कर दिया है. विधेयक में कहा गया है कि राज्य संविधान की नौवीं अनुसूची में बदलाव करने का केन्द्र से आग्रह करेगा. 


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1932 के खतियान पर स्थानीयता विधेयक भी हुआ पारित 


विधानसभा ने 1932 के खतियान के आधार पर राज्य में स्थानीयता की नीति तय करने और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 प्रतिशत करने के फैसले के साथ विभिन्न वर्गों के लिए कुल आरक्षण 77 प्रतिशत करने का संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया. इसके बाद विधानसभा की बैठक अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. 


झारखंड विधानसभा में दोनों विधेयक पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 'आज का दिन झारखंड के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.' विधानसभा का विशेष सत्र आज शुरू होते ही मुख्य विपक्षी दल भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की ओर से भानु प्रताप शाही ने सदन में घोषणा कर दी कि आज पेश किये जा रहे दोनों विधेयकों का पार्टी समर्थन करती है. हालांकि भाजपा की ओर से दोनों विधेयकों में अनेक संशोधन प्रस्तावित किये गये थे तथा इन्हें विस्तृत विचार विमर्श के लिए विधानसभा की प्रवर समिति को भेजने की मांग की गयी थी लेकिन सभी संशोधनों एवं प्रवर समिति को विधेयकों को भेजने की मांग को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दोनों संशोधन विधेयकों को पारित कर दिया. 


14 सितंबर को लिया गया फैसला


इससे पहले 14 सितंबर को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में 1932 की खतियान के आधार पर राज्य में स्थानीयता की नीति तय करने का फैसला करने और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 प्रतिशत करने के फैसले के साथ विभिन्न वर्गों के लिए कुल आरक्षण 77 प्रतिशत करने का अहम फैसला लिया गया था. 


(एजेंसी इनपुट के साथ)