बीरेंद्र लाकड़ा (Birendra Lakra) का जन्म 3 फरवरी को झारखंड के सिमडेगा में हुआ था. वो ओरोन जनजाति (Oraon tribe) के हैं.
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Ranchi: झारखंड (Jharkhand) राज्य का नाम हमेशा से ही उसके प्राकृतिक संसाधनों की वजह से लिया जाता है. लेकिन झारखंड ने अब खेल की दुनिया में भी जगह बना ली है. झारखंड राज्य ने देश को कई बड़े क्रिकेटर, तीरंदाज और हॉकी के खिलाड़ी दिए हैं. इसी कड़ी में एक नाम बीरेंद्र लाकड़ा (Birendra Lakra) का. तो आइये जानते है झारखंड क इस हीरे के बारें में:
बचपन से था हॉकी का शौक
बीरेंद्र लाकड़ा (Birendra Lakra) का जन्म 3 फरवरी को झारखंड के सिमडेगा में हुआ था. वो ओरोन जनजाति (Oraon tribe) के हैं. बचपन में उनके बड़े भाई हॉकी खेलता देखकर उनके मन में भी हॉकी खेलने की रूचि बढ़ गई. जिसके बाद उन्हें हॉकी खेलना शुरू कर दिया. अपने खेल में सुधार के लिए उन्होंने सेल हॉकी एकेडमी में दाखिला लिया था. जिसके बाद 2007 में जूनियर हॉकी टीम के साथ सिंगापुर के टूर पर भी गए थे. इसके अलावा उन्होंने 2010 में ढाका में SAAF गेम्स, 2009 में सिडनी में यूथ ओलंपिक और 2009 में सिंगापुर में जूनियर विश्व कप में भी हिस्सा लिया है.
किसी भी हॉकी खिलाड़ी के लिए उनका पहला गोल बेहद यादगार रहता है, लेकिन बीरेंद्र ने और ज्यादा यादगार बनाया था. उन्होंने अपने करियर का पहला गोल ओलंपिक क्वालिफिकेशन के फाइनल गेम में फ्रांस के खिलाफ किया. इस गोल को वो शायद ही कभी अपने जीवन में भूल पाए.
उन्होंने 2012 चैंपियंस ट्रॉफी (Champions trophy) के सेमीफाइनल में भारत को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बेल्जियम के खिलाफ किये गए गोल की मदद से भारत आठ साल बाद चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंचा था. 2014 राष्ट्रमंडल खेल उनके करियर के सबसे यादगार पलों में से एक हैं. इस दौरान टीम इंडिया ने रजत पदक अपने नाम किया था.
पूरे परिवार में सब खेलते है हॉकी
बीरेंद्र लाकड़ा को हॉकी विरासत में मिली है. उनके बड़े भाई बिमल जहां इंडियन हॉकी टीम में मिडफील्डर के तौर खेल चुके हैं. वहीं उनकी बहन ने अपने भाइयों को भी पीछे छोड़ दिया है. असुंता अभी तक हॉकी से जुड़ी परिवार की अंतिम सदस्य हैं, लेकिन उन्होंने भारतीय टीम की अगुवाई भी है. घर में और लोग भी सदस्य हॉकी की प्रैक्टिस करते है और हॉकी में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं.