झारखंड में पंचायत चुनाव की मांग तेज हो गई है. कोरोना के बीच चुनाव को टालते हुए सरकार ने 6 महीने का एक्सटेंशन दिया था. लेकिन 30 जून को 6 माह पूरा हो रहा है.
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Ranchi: झारखंड में पंचायत चुनाव की मांग तेज हो गई है. कोरोना के बीच चुनाव को टालते हुए सरकार ने 6 महीने का एक्सटेंशन दिया था. लेकिन 30 जून को 6 माह पूरा हो रहा है. ऐसे में चुनाव कराने या फिर कार्यकाल को बढ़ाए जाने की बहस झारखंड में छिड़ गई है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि पंचायत चुनाव और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया आवश्यक है. राज्य सरकार की नीयत ठीक नहीं है. जब कोरोना थमा था, उस वक्त हम लोगों ने चुनाव कराने की मांग की थी, लेकिन राज्य की सरकार के मन मे लोकतंत्र के प्रति आस्था नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि अघोषित आपातकाल इस राज्य के अंदर लगाने का प्रयास किया जा रहा है इसलिए इनको लोकतांत्रिक व्यवस्था और संस्था पर विश्वास नहीं है. ये सरकार तानाशाही प्रवृत्ति का दूसरा नाम है.
पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार को घेरते हुए AJSU नेता हसन अंसारी ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना महामारी के बहाने पंचायत चुनाव को लटकाना चाहती है. सरकार नहीं चाहती है कि सत्ता का विकेंद्रीकरण पंचायत एवं गांव स्तर तक हो.
वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि पंचायत चुनाव करवाए जाएंगे, लेकिन प्रक्रिया पूरी करने के लिए माकूल माहौल नहीं है. JMM के महासचिव विनोद पांडेय ने BJP पर पलटवार करते हुए कहा कि इस देश में ही अघोषित आपातकाल है और पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी का आरोप बेबुनियाद है.
गांव की सरकार के गठन या फिर एक बार फिर एक्सटेंशन की चर्चा के बीच ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि पंचायत चुनाव को लेकर चुने हुए प्रतिनिधियों की समय सीमा समाप्त होने के बाद पंचायती राज के तहत 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया था. 30 जून को एक्सटेंशन समाप्त हो रहा है. राज्य सरकार चाहती है, त्रिस्तरीय राज कायम रहे, जो काम होता था उसी अनुरुप काम हो. भारत सरकार के गाइडलाइन के तहत एक बार के बाद दोबारा एक्सटेंशन दिया जा सकता है या नहीं इसकी समीक्षा होगी.
पंचायती राज मंत्री ने कहा कि एक्सटेंशन नहीं होता है तो वैकल्पिक रास्ता खोजा जाएगा. हम 2021 तक पंचायत चुनाव कराने की बात कह चुके हैं. अगर कोविड न आया होता तो चुनाव हो गए होते.