रांची : 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का एक बड़ा तबका समर्थन कर जश्न मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ राजधानी रांची सहित अलग-अलग जगह से विरोध के स्वर भी उठने लगे है. इसी क्रम में राजधानी रांची के धुर्वा थाना क्षेत्र अंतर्गत झारखंड नवनिर्माण मंच का गठन हुआ तो प्रशासन ने उन्हें नोटिस थमा दिया. अब इस मामले पर विरोध नोटिस और सियासत शुरू हो गई है.


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राज्य में एक बार फिर बन रही साल 2000 की स्थिति
झारखंड नव निर्माण मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा 1932 खतियान कैबिनेट में पारित किए जाने के विरोध में आज रांची के धुर्वा स्थित पंचमुखी मंदिर में झारखण्ड नव-निर्माण मंच द्धारा महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई. इस बैठक में भोजपुरी, मगही, मैथली और अंगिका के भाषा बोलने वाले लोग उपस्थित हुए. बैठक के दौरान मंच के लोग फैसले का विरोध करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन सरकार द्वारा लिए गये फैसला आहत करने वाला है. मंच के लोगों ने मांग करते हुए कहा कि 15 नवंबर वर्ष 2000 में जब झारखंड अलग हुआ तो उसे कटऑफ डेट माना जाए और साथ ही इसे लागू भी किया जाए. क्योंकि राज्य में खतियान धारी मात्र 35 प्रतिशत ही लोग है. मंच के लोगों ने कहा कि सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो हम सभी मंच के लोग पूरे झारखंड में सड़क पर उतर कर इस फैसले का विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ठीक बड़ा विरोध देखने को मिलेगा और एक बार फि राज्य में वर्ष 2000 की स्थिति बन सकती है.


जिला प्रशासन ने छह लोगों को भेजा नोटिस
बता दें कि बैठक की गंभीरता का आभास करते हुए इलाके में पुलिस बलों की भी तैनाती की गई थी. वहीं जब बैठक में विरोध की रणनीति बनी तो उसके ठीक बाद जिला प्रशासन ने झारखंड नवनिर्माण मंच के अध्यक्ष सहित छह लोगों को नोटिस थमा दिया. रांची जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि मुझे प्रतीत कराया गया है कि यह संभव है कि आप परिशांति भंग करेंगे या ऐसा कार्य करेंगे. जिससे संभावना है कि शांति भंग होगी. इसलिए आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप स्वयं अथवा अपने अधिवक्ता द्वारा 19 सितंबर को कोर्ट में 10:30 बजे इस बात का कारण दर्शाने के लिए उपस्थित हों, कि आपसे से यह अपेक्षा क्यों ना की जाये. एक वर्ष की अवधि के लिए शांति कायम रखने के लिए 50 हजार रुपये का बंधपत्र और उसी राशि का दो प्रतिभूतियों के साथ प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाए. मामले पर जानकारी देते हुए एसडीओ सदर नहीं बताया कि मामले से संबंधित धुर्वा थाना प्रभारी से प्रतिवेदन हासिल हुआ था. जिसके आधार पर नोटिस जारी किया गया है.


नोटिस पर शुरू हुई राजनीतिक बयानबाजी
भाजपा प्रवक्ता सीपी सिंह ने कहा कि 1932 को लेकर जारी समर्थन और विरोध के बीच राजनीतिक बयानबाजी भी तेज है. बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने भी 1932 को लेकर पार्टी के अंदर भी कई लोग विरोध कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को सोचना चाहिए जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए सरकार पर जमकर साधा निशाना. वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहां 1932 को लेकर आधार माना गया है और बहुत से लोगों में जो संस्य है इस संस्य को दूर करने के लिए अभी विधानसभा में लाया जाएगा. विधानसभा से फिर उसको ग्राम सभा में लाकर उनसे उसमें बहूत से संशोधन किया जाएगा. संशोधन करने के बाद उसको लाया जायेगा. इसमें सबको जगह मिलेगा. इधर जेएमएम के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है और रही बात भोजपुरी और मैथिली के द्वारा 1932 के विरोध की, तो कोई विरोध नहीं कर रहा है. क्योंकि यहां पर उनके पास भी खतियान है. मनोज पांडे ने कहा कि लेकिन अगर कुछ क्षेत्रों में विरोध हो रहा है तो वहां के जनप्रतिनिधि विधानसभा में बातों को लाएंगे साथ ही जरूरत पड़ी तो संशोधन किया जाएगा.


इनपुट - कामरान जलीली


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