Kumbh Mela 2025: कौन होते हैं नाथ संन्यासी, जिनके पीठाधीश्वर हैं सीएम योगी? महाकुंभ में अब करोड़ों श्रद्धालुओं को देंगे दर्शन
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Kumbh Mela 2025: कौन होते हैं नाथ संन्यासी, जिनके पीठाधीश्वर हैं सीएम योगी? महाकुंभ में अब करोड़ों श्रद्धालुओं को देंगे दर्शन

Nath Sampraday Akhada: प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ में नाथ संप्रदाय के संन्यासी भी शामिल होने आ रहे हैं. इस संप्रदाय के पीठाधीश्वर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. आखिर बाकी साधुओं से ये संन्यासी अलग कैसे होते हैं.

 

Kumbh Mela 2025: कौन होते हैं नाथ संन्यासी, जिनके पीठाधीश्वर हैं सीएम योगी? महाकुंभ में अब करोड़ों श्रद्धालुओं को देंगे दर्शन

CM Yogi Nath Sampraday Akhada: महाकुंभ 2025 की दिव्यता और भव्यता देखकर यहां पर आने वाले साधु सन्यासियों के दिल से एक ही बात निकल रही है. जब शासक संत होता है तो सनानत का प्रचार प्रसार भी अनंत होता है. मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ इस वक्त देश में सबसे ज्यादा चर्चित हैं. इसके लिए कानून व्यवस्था को लेकर उनके तेवर और यूपी को एक ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने की योजनाएं बड़ी वजह हैं. लेकिन महाकुंभ 2025 में उनकी पहचान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ गोरक्षपीठाधीश्वर और नाथ संप्रदाय के प्रमुख के तौर भी बनी है. 

अब महाकुंभ में उस अखाड़े की चर्चा शुरू हो गई है जिससे खुद योगी आदित्यनाथ का संबंध है. संगम की रेती पर सनातन के प्रमुख अखाड़ों के साथ इस अखाड़े का शिविर भी तैयार हो रहा है. कैसा है ये अखाड़ा जहां पर स्वयं सीएम योगी रहेंगे. कैसा है वो स्थान जहां से योगी सरकार चलेगी. हमारी इस स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए.  

प्रयागराज की रेती पर लगा संतों का कुंभ

महाकुंभ 2025 की शुरूआत से पहले सनातन की धर्म ध्वजा के सबसे बड़े वाहक संत समाज के 13 अखाड़े एक एक करके महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. पहाड़ों..कंदराओं..जंगलों में कठिन तपस्या कर रहे संत प्रयागराज पहुंच रहे हैं और उनका जमावड़ा संगम की रेती पर बन रहे शिविरों में लग रहा है. हठयोगी...नागा सन्यासी...जिनकी झलक आम दिनों में मिलनी मुश्किल होती है उनके दर्शन महाकुंभ में सुलभ होंगे.

प्रयागराज में आ रहे इन तमाम साधुओं में भी कई विभिन्नताएं हैं..लेकिन ये सभी सनातन की अलख जगाने आए हैं. महाकुंभ 2025 की दिव्य और भव्य तैयारियों को देखकर अभिभूत संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि भूरि प्रशंसा कर रहे हैं. दुनिया भर के श्रद्धालु अखाड़ों के इन साधुओं का दर्शन करेंगे...लेकिन ये साधु सन्यासी जिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन के सबसे बड़े महोत्सव के दिव्य आयोजन का श्रेय दे रहे हैं. खुद उनका अखाड़ा भी महाकुंभ में प्रवेश करने वाला है.

सीएम योगी की क्यों हो रही चर्चा?
 
गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ साथ नाथ संप्रदाय के प्रमुख हैं. महाकुंभ में हर संतों के अपने-अपने अखाड़े हैं इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का भी एक अखाड़ा है जहां नाथ संप्रदाय के बड़े संत बैठेंगे. 

महान योगियों के इतिहास वाले नाथ संप्रदाय के ये संत कठिन तपस्या करने वाले होते हैं. नाथ संप्रदाय की स्थापना महान योगी और संत गोरखनाथ ने की थी. मान्यता है कि योगी गोरखनाथ ने अपने जीवनकाल में कई सारे चमत्कार किए थे. गोरखनाथ महाराज के बाद उनके अनुयायियों ने नागपंथी गोरखनाथ अखाड़े को स्थापित किया था. ये अखाड़ा नाथ संप्रदाय का एक प्रमुख भाग है..और जब ये संत महाकुंभ में प्रवेश करेंगे तो भी उनके पूजा पाठ और साधना की विशेष व्यवस्था की जानी बेहद जरूरी है.

महाकुंभ में नाथ संप्रदाय का अखाड़ा और उसके साधु हमेशा चर्चा का केंद्र रहते हैं. जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जिस नाथ संप्रदाय के प्रमुख हों. उस अखाड़े का महाकुंभ में एक विशेष स्थान होना लाज़मी है. आज हम आपको दिखाने वाले हैं कैसी होगी उस अखाड़े की संरचना, जहां पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहने वाले हैं.

महाकुंभ में नाथ संप्रदाय पर सबकी नजर

इस अखाड़े का काम अभी चल रहा है लेकिन अखाड़े के जिन संतों की तस्वीरें यहां पर लगी है उसमें सबसे पहली तस्वीर है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की. जिनके नाम के आगे लिखा है परम पूज्य श्री महंत योगी आदित्यनाथ जी महाराज. इसके नीचे योगी आदित्यनाथ के प्रदेश के मुख्यमंत्री होने की जानकारी भी लिखी गई है. 

महाकुंभ के सेक्टर-18 में ओल्ड जीटी मार्ग पर नाथ संप्रदाय का अखाड़ा मौजूद है. नाथ अखाड़ा 600×400 के रकबे में बसाया जा रहा है. अखाड़े के अंदर चार विशाल वाटर प्रूफ जर्मन हैंगर लग गए हैं. एक हैंगर में नाथ संप्रदाय के संतों के प्रवचन होंगे. दूसरे हैंगर में संप्रदाय के अनुयायियों को जगह दी जाएगी. तीसरे हैंगर में विशाल रसोई बन रही है. चौथा हैंगर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां पर आएंगे.  

खास बात ये है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनका मंत्रिमंडल भी यहां पर मौजूद रह सकता है यानी इसी स्थान से महाकुंभ के दौरान सरकार भी चलने वाली है. नाथ संप्रदाय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा भी बड़े बड़े साधु संत मौजूद हैं. इस संतों का नाथ संप्रदाय के अखाड़े में आना शुरू भी हो गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के सबसे बड़े पद पर बैठे हैं. लेकिन इसके बावजूद प्रशासनिक कार्यों को देखने के साथ साथ उनकी दिनचर्या किसी संत की तरह ही रहती है. 

कुंभ में जमीन पर सोएंगे सीएम योगी!

प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलना सबके लिए इतना सुलभ नहीं. लेकिन अखाड़े में और अखाड़े के बाहर भी नाथ संप्रदाय के साधुओं को मुख्यमंत्री से मिलने के लिए कोई अनुमति नहीं लेनी पड़ती. लेकिन सीएम का प्रोटाकॉल और मौजूदगी को देखते हुए यहां पर बनाए गए टेंटों में हर तरह की तैयारी की जा रही है. खुद मुख्यमंत्री भी इस अखाड़े में निवास करेंगे इसलिए यहां पर जो टेंट लगाए जा रहे हैं वो भी काफी खास हैं. 

इस वक्त महाकुंभ क्षेत्र में तापमान भी काफी कम है. बारिश की भी संभावना जाहिर की जा रही है. ऐसे में इस वीवीआईपी अखाड़े के टेंट भी बेहद खास तकनीक से तैयार किए गए हैं. इस अखाड़े में लगभग 70 आलीशान टेंट तैयार कर दिए गए हैं. भले ही इस वीवीआईपी अखाड़े में शानदार टेंट तैयार किए गए हैं. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ और नाथ संप्रदाय के संतों के बारे में हम आपको एक ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं..जिसके बाद इस अखाड़े के संतों की सादगी के बारे में आप अच्छे से समझ पाएंगे.
 
भले ही योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के सबसे शक्तिशाली पद पर बैठे हों लेकिन वो भी एक संत की भांति जमीन पर ही सोते हैं और भजन कीर्तन भी करते हैं. महाकुंभ के दौरान लाखों करोड़ों लोगों का जनसमुद्र रेत पर बनी इस नगरी पर लगने वाला है. जो संगम में स्नान करने के लिए जाएंगे. सभी अखाड़ों के साधु संत संगम में अमृत स्नान करेंगे. लेकिन सबकी नजरें नाथ संप्रदाय के प्रमुख और गोरक्ष पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री आदित्यानाथ पर भी रहेगी. इसी अखाड़े से निकलकर मुख्यमंत्री भी संगम में स्नान करने के लिए जाएंगे. 

महान गुरू गोरखनाथ के शिष्य हैं योगी

जब से प्रयागराज के लोगों को मालूम चला है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के नाथ संप्रदाय अखाड़ा भी संगम क्षेत्र में आने वाला है. जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ खुद मौजूद रहेंगे. यहां पर बड़ी संख्या में लोग अखाड़े को देखने के लिए पहुंच रहे हैं. जिस तरह महाकुंभ से पहले योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज की तस्वीर बदल दी है. प्रयागराज के लोग मुख्यमंत्री और संत योगी आदित्यनाथ की दोहरी भूमिका की तारीफ कर रहे हैं. 

सच्चाई ये है कि लोगों के साथ साथ बड़े बड़े अखाड़ों के महामंडलेश्वर भी मानते हैं कि अगर महाकुंभ 2025 का इतना दिव्य और भव्य स्वरूप सामने आया है तो इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सूबे के मुख्यमंत्री होने के साथ साथ संत भी होना है. इसीलिए वो प्रशासनिक कार्यों के साथ साथ संतों और श्रद्धालुओं की जरूरत को भी ठीक से समझते हैं.  

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी कहते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री स्वयं एक संत हैं और संत के हाथ में सरकार है. सरकार के साथ वो स्वयं एक साधु हैं और एक मठ के महंत हैं. अर्धकुंभ का उनको अनुभव है और महाकुंभ भी उनके नेतृत्व में सकुशल सपन्न होगा.

नाथ संप्रदाय के साधुओं को इस बात का गर्व है ​​कि वो उस संप्रदाय से आते हैं जो महान गुरू गोरखनाथ का भक्त है और जिनकी परंपरा को निभाते हुए योगी आदित्यनाथ आज संत और मुख्यमंत्री के तौर दुनिया के सबसे बड़े आध्या​त्मिक मेले की मेजबानी कर रहे हैं. जिसकी चर्चा दुनिया भर में हो रही है.  

गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं सीएम योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान देश के सबसे बड़े सियासी सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर होती है. लेकिन इस पहचान से पहले उनकी एक आध्यात्मिक पहचान और प्रतिष्ठा भी है. ये पहचान है गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर की. यानी नाथ संप्रदाय की सबसे शक्तिशाली गद्दी पर योगी आदित्यनाथ विराजमान हैं.

भारत के बेहद प्राचीन और योगियों के इस संप्रदाय की आध्यात्मिक विरासत बहुत संपन्न है..जिसमें ऐसे ऐसे गुरुओं का उल्लेख मिलता है जिन्हें साक्षात शिव का अवतार माना जाता है. महाकुंभ में नाथ संप्रदाय के अखाड़े में इस संप्रदाय के संत महात्माओं की दिव्यता, सादगी और परंपरा का समावेश होगा. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी महाकुंभ में नाथ संप्रदाय के इस अखाड़े को विशेष बनाती है. 

आदिनाथ शंकर से हुई जिस संप्रदाय की शुरूआत स्वयं भगवान शंकर के अवतार गोरक्षनाथ यानि योगी गोरखनाथ ने जिस पंथ को दिव्य स्वरूप दिया. उस नाथ संप्रदाय के अखाड़े में महाकुंभ के दौरान योग साधना में पारंगत साधु दिखाई पड़ेंगे. कठिन तपस्या करने वाले नाथ संप्रदाय में गुरु शिष्य परंपरा सबसे उपर है.

नाथ संप्रदाय में किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं रहा. इस संप्रदाय को किसी भी जाति, वर्ण व किसी भी उम्र में अपनाया जा सकता है. नाथ संप्रदाय को अपनाने के बाद सात से 12 साल की कठोर तपस्या के बाद ही संन्यासी को दीक्षा दी जाती है. चलिए अब आपको इस संप्रदाय के साधुओं के बारे में कुछ विशेष बातें बताते हैं. 

नाथ संप्रदाय के रहस्य

इस पंथ के कई योगी जीवित समाधि लेते हैं या फिर शरीर छोड़ने पर उनको समाधि दी जाती है. पंथ के योगियों को जलाया नहीं जाता. माना जाता है योग से ही उनका शरीर शुद्ध हो जाता है. इस संप्रदाय में तामसी भोजन भी निषेध है. नाथ संप्रदाय के योग भस्म भी रमाते हैं. उम्र के आखिरी चरण में कुछ साधक हिमालय की गुफाओं में चले जाते हैं. दीक्षा देने से पहले और बाद में दीक्षा पाने वाले को उम्र भर कठोर नियमों का पालन करना होता है. योगी आदित्यनाथ ने ऐसी ही तपस्या की है और इन्हीं कठिन नियमों का पालन कर रहे हैं.

गोरखनाथ धाम मठ की पीठ को इस संप्रदाय की अध्यक्ष पीठ माना जाता है. लिहाजा इसका प्रमुख देशभर में नाथ संप्रदाय का अध्यक्ष होता है, जो इस समय योगी आदित्यनाथ हैं. नाथ संप्रदाय के साधुओं की कुछ बड़ी पहचान होती हैं. कानों में एक कुंडल और गले में पड़ी एक विशेष माला आपको नाथ संप्रदाय के हर साधु के पास दिख जाएगी. अपनी इस पहचान की वजह से नाथ संप्रदाय के साधु ​महाकुंभ में भी बिल्कुल अलग नजर आते हैं. 

नाथ संप्रदाय के साधु गुप्त पूजाएं भी करते हैं..महाकुंभ में भी ऐसी खास पूजा का आयोजन है. फिलहाल योगी आदित्यनाथ का अखाड़ा महाकुंभ में सज रहा है. देश और दुनिया से नाथ संप्रदाय के साधु यहां पर पहुंच रहे हैं. अखाड़े में 12 जनवरी को धर्म ध्वजा की स्थापना होगी उस वक्त भी गोरक्षपीठाधीश्वर यहां पर मौजूद रहेंगे. एक राजनेता के तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो ख्याति पाई है..एक साधक के तौर पर उनका सम्मान उससे भी ज्यादा है.

साधु-महात्मा भी कर रहे योगी की तारीफ

नाथ संप्रदाय के साधुओं को पता है गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर की जिस गद्दी पर वो विराजमान हैं उसे पाने के लिए कितनी तपस्या और कितना त्याग करना पड़ता है और इसके बाद भी जिस पर ईश्वर और गुरुओं की कृपा होती है वो ही इस उपाधि को धारण कर पाता है. 
इसीलिए अपने पंथ के साधु संतों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इतने लोकप्रिय हैं कि साधु सन्यासी उन्हें अपने हृदय में स्थान देते हैं.

गोरक्षपीठ की गद्दी पर विराजमान होना कोई आसान कार्य नहीं..इसके लिए सबसे जरूरी है गुरुओं की कृपा मिलना. इस कृपा को प्राप्त करने के ​लिए भी योगी आदित्यनाथ ने कड़ी तपस्या की है. गुरू शिष्य परंपरा का निर्वहन जिस तरह योगी आदित्यनाथ ने किया  उसकी चर्चा और प्रशंसा करते नाथ संप्रदाय और दूसरे अखाड़ों के बड़े साधु करते भी नहीं थकते. और यही वजह है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके अखाड़े की चर्चा महाकुंभ में सबसे ज्यादा हो रही है. 

महाकुंभ 2025 की दिव्यता और भव्यता की चर्चा इस वक्त पूरी दुनिया में हो रही है..महाकुंभ शुरू होने के बाद इसकी चर्चा और ज्यादा होगी. महाकुंभ के साथ साथ इसके मुख्य मेजबान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और जिस महान संप्रदाय के वो ध्वजवाहक हैं उस नाथ संप्रदाय का अखाड़ा भी लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना रहेगा.

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