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Ravan Dahan on Dussehra: दशहरे पर रावण को जलाने की प्रथा कब से हुई प्रारंभ? जानिए कितनी पुरानी है ये परंपरा!

Ravan Dahan on Dussehra: नवरात्रि का पर्व कल कन्या पूजन के साथ खत्म हो जाएगा. 12 अक्टूबर दिन शनिवार को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा. जिसे विजयादशमी के रूप में भी जाना जाता है.

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Ravan Dahan on Dussehra: नवरात्रि का पर्व कल कन्या पूजन के साथ खत्म हो जाएगा. 12 अक्टूबर दिन शनिवार को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा. जिसे विजयादशमी के रूप में भी जाना जाता है. रामलीला का आयोजन दशहरा पर अलग-अलग जगहों पर किया जाता है. 

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रावण का पुतला जलाने की परंपरा भारत में दशहरे के त्योहार का एक प्रमुख हिस्सा है और इसकी शुरुआत का इतिहास बहुत पुराना है. दशहरे की यह परंपरा रावण दहन से जुड़ी हुई है, जो भगवान राम द्वारा रावण के वध और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

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इस परंपरा की शुरुआत के संबंध में कोई निश्चित तिथि तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. रामायण के अनुसार, जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया, तब लोगों ने इस विजय को मनाने के लिए रावण के पुतले जलाने की शुरुआत की. यह पौराणिक कथा त्रेता युग की बताई जाती है, जो मानव इतिहास का एक प्राचीन युग है.

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ऐसा भी कहा जाता है कि रावण के पुतले का दहन सबसे पहले झारखंड की राजधानी रांची में किया गया था. हालांकि रांची पहले बिहार का हिस्सा था अब झारखंड का हिस्सा है. रांची में साल 1948 में रावण दहन किया गया था. 

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यदि हम आधुनिक दशहरे के उत्सव की बात करें, तो ऐसा माना जाता है कि 19वीं सदी में उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे क्षेत्रों में यह परंपरा ज़्यादा लोकप्रिय हो गई. वर्तमान में रावण दहन भारत के अधिकांश हिस्सों में दशहरे के दिन बड़े उत्साह से मनाया जाता है.