प्रकाश चंद यादव की कहानी लगभग दो दशक पूर्व 1995 में साहिबगंज आने के बाद शुरू हुई. जब उन्होंने तालझारी अंचल के गदवा पहाड़ पर पत्थर का कारोबार शुरू किया और देखते ही देखते दो दशक में पूरी गदवा पहाड़ का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गई.
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रांचीः साहिबगंज पुलिस ने पत्थर कारोबारी प्रकाश चंद यादव उर्फ मुंगेली यादव को पुलिस राजमहल थाना कांड संख्या 67/22 आर्म्स एक्ट के मामले में गिरफ्तार कर लिया है. बता दें कि यादव को राजमहल अस्पताल में मेडिकल चेकअप के बाद भारी सुरक्षा के बीच राजमहल न्यायालय में प्रस्तुत किया. जहां न्यायालय ने उसे राजमहल जेल भेज दिया गया.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि प्रकाश चंद यादव की कहानी लगभग दो दशक पूर्व 1995 में साहिबगंज आने के बाद शुरू हुई. जब उन्होंने तालझारी अंचल के गदवा पहाड़ पर पत्थर का कारोबार शुरू किया और देखते ही देखते दो दशक में पूरी गदवा पहाड़ का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गई. गदवा पहाड़ के पत्थर को तोड़कर मुंगेरी यादव पत्थर के कारोबार में सबसे बड़ा नाम बन गया. फिर शुरू हुई पत्थर के कारोबार में वर्चस्व की लड़ाई. तालझारी अंचल के पूर्व उप प्रमुख प्रदीप कुमार सिंह ने गदवा पहाड़ पर हो रहे हैं. पत्थरों के अंधाधुन कटाई के विरोध में लगातार सरकार को पत्राचार करते रहे और अंत में प्रदीप सिंह ने पीएमओ ऑफिस तक शिकायत की.
जिला प्रशासन ने कार्रवाई कर प्रकाश चंद के दो क्रशर को किया सील
जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए मुंगेरी यादव के दो क्रशर को सील कर दिए थे. जो बाद में फिर चालू हो गया. साहिबगंज में जब ईडी की कार्रवाई शुरू हुई, तो कार्रवाई होते देख प्रदीप सिंह ने ईडी को भी मेल के माध्यम से गदवा पहाड़ पर हो रहे अंधाधुन पत्थरों की कटाई की जांच करने की शिकायत की.
पूर्व उप प्रमुख गदवा पहाड़ और प्रकाश चंद यादव की क्या है पूरी कहानी
तालझारी के पूर्व उप प्रमुख गदवा पहाड़ और प्रकाश चंद यादव की पूरी कहानी बताते हुए कहा कि गदवा पहाड़ अपनी कहानी खुद बयां कर रहा है. मुंगेरी यादव और पंकज मिश्रा के बीच हुए बर्चस्व की लड़ाई में पंकज मिश्रा जहां राज्य सरकार के सरकारी तंत्र का जमकर इस्तेमाल किए. तो वही अपने सारे कारोबार को चौपट होते देख, मुंगेरी यादव भी पलटवार करना शुरू कर दिए. जिसका नतीजा आज यह है कि पंकज मिश्रा ईडी के शिकंजे में है. तो प्रकाश चंद यादव को साहिबगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर राजमहल जेल भेज दिए. अब आने वाले समय में देखना होगा की ऊंट किस करवट बैठती है.
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