Raksha Bandhan 2023: बॉर्डर पर तैनात जवानों की कलाई नहीं रहेगी सूनी, रांची की महिलाओं ने भेजी राखी
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Raksha Bandhan 2023: बॉर्डर पर तैनात जवानों की कलाई नहीं रहेगी सूनी, रांची की महिलाओं ने भेजी राखी

सीमा पर तैनात जवानों के लिए डाक सुविधा के जरिए राखी भेजने की व्यवस्था की गई है. हर साल रांची की इन महिलाओं के द्वारा हजारों राखी जवानों के लिए भेजी जाती है.

फाइल फोटो

Raksha Bandhan 2023: अगस्त महीने के आखिरी सप्ताह में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2023) का त्योहार पड़ने वाला है. राखी (Rakhi 2023) के लिए खरीददारी शुरू हो चुकी है. इस रक्षाबंधन पर बॉर्डर पर खड़े जवानों की कलाई सूनी ना रहे, इसके लिए रांची की महिलाओं ने सरहद पर खड़े जवानों (Indian Army) के लिए राखी भेजी है. रक्षाबंधन के दिन बहनों के प्यार के साथ जवानों को राखी बांधी जाएगी. सीमा पर तैनात जवानों के लिए डाक सुविधा के जरिए राखी भेजने की व्यवस्था की गई है. हर साल रांची की इन महिलाओं के द्वारा हजारों राखी जवानों के लिए भेजी जाती है. महिलाओं ने इस दौरान कहा कि हम अपने घरों में चैन से सोते हैं क्योंकि सरहद पर सेना के जवान रात भर जाग कर हमारी और देश की पहरेदारी करते हैं.

सरहद की सुरक्षा करने वाले जवान रक्षाबंधन पर्व पर अपनी बहनों के पास राखी बंधवाने नहीं आ सकते हैं. ऐसे में ऑपरेशन सिपाही रक्षा सूत्र कार्यक्रम का लक्ष्य जवानों को राखी भेजी जा रही है, ताकि हर जवान के हाथों में रक्षाबंधन के दिन राखियां सजी रहे. इसी उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के तहत देशभर की महिलाएं जवानों को राखी भेज रही हैं. रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए बहन ईश्वर से भाई की सुरक्षा व उन्नति की कामना करती है. देश की सीमा पर तैनात जवान भी अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ते हुए देश की रक्षा करते हैं.

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छत्तीसगढ़ की हजारों बहनों की ओर से बॉर्डर में तैनात अपने अनजान भाईयो के लिए 11 लाख 11 हजार 111 राखियां भेजी जा रहीं हैं. इस मुहिम की शुरुआत राज्य के सेना से रिटायर्ड जवानों के संगठन ने किया है. उन्होंने बॉर्डर में तैनात जवानों तक 11 लाख 11 हजार 111 राखियां भेजने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए राज्य के अलग-अलग इलाकों से राखी समेटा जा रहा है. संगठन ने बताया कि बिलासपुर से रायपुर पहुंचने तक 6 लाख से अधिक राखियां जुटाई जा चुकी हैं. जवानों का ये ट्रक अलग-अलग शहरों में रुकते हुए राखियां लेते हुए आर्मी हेडक्वार्टर पहुंचेगा. इसके बाद इन राखियों को देश के हर कोने में जवानों के पास भेजा जाएगा.

इनपुट- कमरान जलीली

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