हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में SC ने लिया बड़ा फैसला, कहा-तीन महीने के अंदर पूरी करें नियुक्ति प्रक्रिया
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हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में SC ने लिया बड़ा फैसला, कहा-तीन महीने के अंदर पूरी करें नियुक्ति प्रक्रिया

झारखंड में हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में दायर अवमानना याचिका और अन्य याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. कोर्ट ने साफ किया कि जिन शिक्षकों की अभी तक (शेड्यूल्ड और नॉन शेड्यूल्ड जिलों में) नियुक्ति हो चुकी है,उनकी नौकरियां सुरक्षित रहेंगी.

 (फाइल फोटो)

Ranchi: झारखंड में हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में दायर अवमानना याचिका और अन्य याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. कोर्ट ने साफ किया कि जिन शिक्षकों की अभी तक (शेड्यूल्ड और नॉन शेड्यूल्ड जिलों में) नियुक्ति हो चुकी है,उनकी नौकरियां सुरक्षित रहेंगी. इसके अलावा झारखंड हाईकोर्ट में याचिककर्ता रहे लोगों को भी नियुक्तियां होंगी. इसके लिए पहले से नियुक्त लोगों की मेरिट लिस्ट को आधार बनाया जाएगा. 

अलग से मेरिट बनाई जाएगी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अभी शिक्षकों के जो 8586 पद खाली है, उनके लिए सरकार राज्य स्तर पर अलग से मेरिट लिस्ट बनाये. इसके लिए राज्य सरकार को शेड्यूल्ड और नॉन शेड्यूल्ड जिलों को मिलाकर एक अलग से राज्य स्तर पर मेरिट लिस्ट बनानी होगी. कोर्ट ने पूरी कवायद को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 3 महीने का वक़्त दिया है.

2 अगस्त को दिए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की शेड्यूल्ड जिलों में स्थानीय लोगों को 100 फीसदी आरक्षण देने की नीति को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि झारखंड सरकार की ओर से 13 शेड्यूल्ड जिलो में (क्लास 3 और क्लास 4 की पोस्ट के लिए) सिर्फ स्थानीय निवासियों को ही मौका देना संविधान के अनुकूल नहीं है.इन जिलों में स्थानीय नागरिकों का 100% आरक्षण समानता के मूल अधिकार के खिलाफ है और सरकार का ऐसा करना बाकी जिलों के ( non- scheduled) के लोगों को संविधान की ओर से मिले मूल अधिकारों का हनन है.

सुप्रीम कोर्ट ने तब हालाकि राज्य सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द किया था पर साथ ही ये भी कहा था कि शेड्यूल्ड डिस्ट्रिक्ट मे कई सालों से टीचर्स काम कर रहे है,अगर उन तमाम नियुक्तियों को रद्द किया जाता है तो ऐसी सूरत में स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो जाएगी. आदिवासी इलाको के बच्चो की पढाई प्रभावित होंगी. लिहाजा कोर्ट ने सीधे उनकी नियुक्ति न रदद् कर कहा था कि शेड्यूल्ड और नॉन शेड्यूल्ड जिलो को मिलाकर एक नई मेरिट लिस्ट बनाई जाए, उसके आधार पर हरेक की मेरिट के लिहाज से जिलो में उनकी नियुक्ति हो.

कोर्ट में दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार SC के आदेश पर अमल नहीं कर रही है. अवमानना याचिका और मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट का आज का आदेश आया है. वकील के मुताबिक शिक्षको के मामले मे दिए गए राहत के इस आदेश का ग्रुप सी और ग्रुप डी की दूसरी नौकरियों पर भी पड़ेगा. शिक्षकों की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत सचिवों की नियुक्ति के लिए भी राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट बनाने को कहा है.

 

 

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