Week off for cattle: इंसानों के लिए साप्ताहिक अवकाश के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी मवेशियों के लिए वीक ऑफ के बारे में सुना है. नहीं न लेकिन झारखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां मवेशियों को अवकाश दिया जाता है.
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रांची: Week off for cattle: इंसानों के लिए साप्ताहिक अवकाश के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी मवेशियों के लिए वीक ऑफ के बारे में सुना है. नहीं न लेकिन झारखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां मवेशियों को अवकाश दिया जाता है. आज के दौर में एक ओर जहां कार्यालयों में काम के दबाव की वजह लोगों के वीक ऑफ रद्द कर दिए जाते हैं तो वहीं दूसरी तरफ झारखंड के लातेहार जिले में मवेशियों को भी साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है. यहां मवेशियों को वीक ऑफ देना अनिवार्य है और परंपरा पुराने जमाने से चली आ रही है.
नियम का पालन नहीं करने के लिए दंड का प्रावधान
इस नियम के तहत हिन्दू समाज के लोगों के द्वारा रविवार को, आदिवासी समाज के द्वारा गुरुवार को और मुस्लिम समाज के द्वारा शुक्रवार को मवेशी से काम नहीं लिया जाता है. इस नियम का पालन करना सभी के लिये अनिवार्य है. वहीं अगर कोई इस परंपरा का उल्लंघन करता है गांव वालों ने उसके लिए दंड का भी प्रावधान किया है. जिसके तहत तय दिन पर मवेशियों से काम लेने पर 11 सौ रुपये से लेकर 5 हजार रुपये का आर्थिक दंड का प्रावधान है. अगर कोई इस फैसले को नहीं मानता है तो उसे लाठी से पिटाई की परिपाटी है. ये परंपरा जिले के एक दो गांव नहीं बल्कि कई गांव के लोग निभा रहे हैं.
जिले के कई गांव में दिखेगा ये पशु प्रेम
झारखंड के लातेहार जिला के चंदवा से लेकर बालूमाथ तक लगभग सभी गांव में आपको किसानों का ये पशु प्रेम देखने मिल जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि इस परंपरा को वो बचपन से ही देखते आ रहे हैं. चाहे कितनी भी क्यों ना हो गांव-घर के लोग तय दिन पर अपने मवेशी को खूंटे से नहीं खोलते हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि जब इंसान काम करते-करते अगर थक सकते हैं तो क्या ये बेजुबां जानवर नहीं थकते. क्या अधिक काम करने के बाद उन्हें दर्द नहीं होता होगा, उनके बारे में भी हमें सोचने की जरूरत है.
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