Rajyoga: क्या है नीचभंग राजयोग! कैसे बनता है यह योग जो लोगों को बना देता है शासक?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2015202

Rajyoga: क्या है नीचभंग राजयोग! कैसे बनता है यह योग जो लोगों को बना देता है शासक?

ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रहों की युति से कई तरह के राजयोग बनते हैं जो जातक के जीवन को राजा की तरह बना देते हैं.

फाइल फोटो

Rajyoga: ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रहों की युति से कई तरह के राजयोग बनते हैं जो जातक के जीवन को राजा की तरह बना देते हैं. कुंडली में ग्रहों की स्थिति जैसे उसका उच्च राशि में, मूल त्रिकोण में होना, स्व राशि में होना, मित्र राशि में होना, शत्रु राशि में होना, सम राशि में होना, नीच राशि में होना सबका अलग-अलग प्रभाव होता है. बता दें कि ग्रह अगर उच्च राशि में हो तो जातक के जीवन पर इसका शुभ प्रभाव होता है. जबकि वह नीच राशि में हो तो इसका बुरा प्रभाव देखने को मिलता है.

ये भी पढ़ें- Kharmas: खरमास में ऐसे करें पूजा-पाठ, इन ज्योतिष उपायों से दूर होगी परेशानी

वहीं कई बार ऐसा होता है कि नीच ग्रह अगर नीच की अवस्था से बाहर आ जाएं तो वह राजयोग का कारक बन जाता है. इसी को वैदिक ज्योतिष में नीचभंग राजयोग कहा जाता है. यह योग रंक को भी शासक बना देता है. यदि किसी कुंडली में एक उच्च ग्रह के साथ एक नीच ग्रह विद्यमान हो तो कुंडली में नीचभंग राजयोग बनता है. 

कोई ग्रह अगर अपनी नीच राशि में बैठा हो और उस राशि का स्वामी लग्न भाव या चंद्रमा से केंद्र के स्थान में हो तो यह योग निर्माण होता है. कुंडली में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में हो वहीं उस राशि का उच्च ग्रह चंद्रमा से केंद्र के स्थान में हो तो यह राजयोग बनता है. वहीं किसी नीच ग्रह के स्वामी की दृष्टि किसी नीच ग्रह पर हो तो नीच भंग राजयोग बनता ह. 

किसी ग्रह की नीच राशि का स्वामी के साथ ही इसके उच्च राशि का स्वामी अगर परस्पर केंद्र के स्थान पर हो तो भी यह योग बनता है. वहीं कुंडली में नीच का ग्रह वक्री हों तो भी यह योग बनता है. वहीं नीच ग्रह कुंडली में नौंवे भाव में उच्च का हो तो भी यह योग बनता है.  

Trending news