बिहार: ब्रह्मेश्वर मुखिया को शहीद बताकर विवादों में फंसे गिरिराज सिंह, आरजेडी-कांग्रेस ने साधा निशाना
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar689369

बिहार: ब्रह्मेश्वर मुखिया को शहीद बताकर विवादों में फंसे गिरिराज सिंह, आरजेडी-कांग्रेस ने साधा निशाना

गिरिराज सिंह के ट्वीट पर जहां आरजेडी और कांग्रेस निशाना साध रही हैं, तो वहीं, बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री के ट्वीट से पल्ला झाड़ लिया है.

गिरिराज सिंह ट्वीट की वजह से एक  बार फिर विवादों में घिर गए हैं. (फाइल फोटो)

पटना: बीजेपी (BJP) के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. अपने बयानों के जरिए मीडिया की सुर्खियां बटोरने वाले गिरिराज सिंह एक बार फिर विवादों में फंस गए हैं. दरअसल, गिरिरिज सिंह के एक ट्वीट पर बिहार में सियासी बवाल मच गया है.

गिरिराज सिंह के ट्वीट पर जहां आरजेडी और कांग्रेस निशाना साध रही हैं, तो वहीं, बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री के ट्वीट से पल्ला झाड़ लिया है. दरअसल, गिरिराज ने सिंह ने ट्वीट कर लिखा, 'ब्रह्मेश्वर मुखिया जी के शहीद दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन.' गिरिराज सिंह के इस ट्वीट पर आरजेडी-कांग्रेस हमलावार हो गई.

आरजेडी के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा, 'नरसंहार करनेवालों को ये महात्मा बताते हैं. बीजेपी के नेताओं की यही परंपरा है.' उन्होंने कहा कि, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बताएं कि, ब्रह्मेश्वर मुखिया शाहिद थे या कुछ और. वहीं, कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि, गिरिराज सिंह अपने गैर जिम्मेदाराना बयान के लिए ही जाने जाते हैं.

कांग्रेस नेता ने कहा कि, अभी लोगों की प्राथमिकता कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट से निपटने की होनी चाहिए. लेकिन गिरिराज सिंह शहीद का दर्जा बांट रहे हैं. बीजेपी इन्हीं एजेंडों पर काम करती है. इधर, गिरिराज सिंह के ट्वीट से बीजेपी ने पल्ला झांड लिया है.

बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि, ये विचार गिरिराज सिंह के निजी हैं. बीजेपी का उससे कुछ लेना देना नहीं है. वहीं, गिरिराज सिंह के ट्वीट पर जेडीयू ने कुछ भी बोलने से इंकार किया है.

कौन था ब्रह्मेश्वर मुखिया?
ब्रह्मेश्वर मुखिया रणवीर सेना का सुप्रीमो था और उसकी हत्या आज ही के दिन हुई थी. उसकी हत्या को हुए करीब आठ साल बीत गए हैं. लेकिन, अभी तक हत्या का मामला सीबीआई (CBI) की जांच में उलझा हुआ है. जांच के 7 साल बाद भी सीबीआई किसी भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है.

जानकारी के मुताबिक, 1 जून 2012 को मुखिया अपने आवास की गली में ही टहल रहे थे. उसी दौरान गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई थी. घटना को लेकर आरा, पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद एवं गया जिला समेत अन्य जगहों पर उपद्रव हुआ था.