फुलवरिया से पटना पहुंच चुके लालू का नहीं बदला अंदाज, ऐसे होती थी RJD चीफ की 'कुर्ता फाड़' होली
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फुलवरिया से पटना पहुंच चुके लालू का नहीं बदला अंदाज, ऐसे होती थी RJD चीफ की 'कुर्ता फाड़' होली

Holi 2021: लालू प्रसाद प्रसाद रंगोत्सव को मनाते नहीं थे वे उसे जीते थे. उनकी हर होली जीवंत होती थी. उनकी होली में उल्लास, उमंग, तरंग, राग-अनुराग, अपनापन और सौहार्द सब कुछ होता था.

ऐसे होती थी RJD चीफ की 'कुर्ता फाड़' होली (फाइल फोटो)

Patna:  बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) के सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड पर इस बार होली का रंग कुछ फींका रहेगा. इसकी दो कारण हैं, पहला कोरोना का बढ़ता दायरा और दूसरा ये कि Rabri Devi के पति और चारा घोटाला केस में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) की तबियत नासाज चल रही है. होली के त्यौहार से लालू प्रसाद को गहरा नाता है. जब भी होला आती है लोगों को Lalu Yadav की कपड़ा फाड़ होली की याद खुद ब खुद आ जाती है.

होली को जीते थे लालू

बता दें कि लालू प्रसाद प्रसाद रंगोत्सव को मनाते नहीं थे वे उसे जीते थे. उनकी हर होली जीवंत होती थी. उनकी होली (Holi 2021) में उल्लास, उमंग, तरंग, राग-अनुराग, अपनापन और सौहार्द सब कुछ होता था. इसकी भी अपनी वजह थी. दरअसल, लालू प्रसाद की जड़ें जमीन से जुड़ी हुई हैं. उनकी बोली, उनका ठेठ गंवई अंदाज और पर्व त्यौहार मनाने का तरीका कुछ अलग होता है.

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लालू के घर लगता था जमावड़ा

याद कीजिए उस दौर को जब लालू प्रसाद का परिवार बिहार की सत्ता का केंद्र हुआ करता था. तब होली के मौके पर उनके घर ना सिर्फ राजनीति से जुड़े हुए लोगों का जमावड़ा लगता था, बल्कि होली के दिन समाज के हर तबके की पहुंच उनके घर तक होती थी. 

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लालू के होली मनाने का अंदाज था निराला

उनका आवासीय परिसर रंग से सराबोर होता था. ढोल मजीरे की थाप पर गाया जा रहा 'जोगिरा फिजा में फागुन का रस घोलता था'. लालू प्रसाद के होली मनाने का अंदाज अनोखा था, वे कभी ये नहीं देखते थे कि सामने वाले की उम्र क्या है. उन्हें तो 'भर फागुन बुढ़वा देवर लागे' ही याद रहता था.

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फुलवरिया से पटना पहुंच चुके लालू का नहीं बदला अंदाज

फुलवरिया से पटना पहुंच चुके लालू प्रसाद फागुन की मदमस्त बयार, बौराए आम के पेड़ों की खुशबू, कोंचियाए महुआ की असलाई महक को कभी नहीं भूल पाए. इसकी झलक होली मनाने के उनके अंदाज में साफ दिखती थी. 'असरेसवा में चुएला हमार बंगला' हो या 'चार दिनन के जिनगी बाटे तबले सब कुछ आपन कब परान निकलिहे तन से ई केहू ना जानी जोगिरा सारारारारासारारारा' होली के दिन अक्सर लालू प्रसाद के यहां ऐसे जोगिरा सुनने को मिलते थे और इसका मजा लेने के लिए उनके जानने वाले मचलते भी थे.

राबड़ी के साथ होली खेलना नहीं भूलते थे लालू

एक होली में राबड़ी देवी की सरकार के मंत्री रहे Ramai Ram नहा-धो के झक-झक सफेद कुर्ता धोती पहन कर लालू प्रसाद को होली की मुबारकबाद देने के लिए उनके आवास पहुंचे. लेकिन वहां का नजारा कुछ अलग था. कुर्ताफाड़ होली शबाब पर थी. फिर क्या था रमई राम को मजनूं की शक्ल लेने में देर ना लगी. फटे कपड़े और लाल-हरे और गहरे रंगों ने उनकी पहचान बदल दी. होली के दिन लालू प्रसाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी के साथ रंग खेलना नहीं भूलते थे. इसके लिए भोजपुरी में एक जोगिरा भी है 'भर घर देवर भर्तार से ठठ्ठा'. लालू प्रसाद की होली पर देश दुनिया की नजर होती थी.

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दिल्ली में जमा रंग पर पटना वाली बात नहीं

लालू की होली की झलक पाने के लिए लोग लालायित रहते थे. लालू प्रसाद की होली का गजब रंग होता था. सुबह में गोशाला के गोबर को घोल कर होली, दिन चढ़ने के बाद रंग और गुलाल की होली. खास बात ये होती थी कि लालू प्रसाद खुद ढोल पर ताल देते थे और पूरी टोली से फाग के राग अनायास निकल पड़ते थे. फाग गायन में मगही, भोजपुरी, मैथिली बज्जिका और अंगिका सभी बोलियों का सुरताल होती थी. लालू प्रसाद जब रेल मंत्री थे तो एक बार उन्होंने दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास पर होली का आयोजन किया, होली का रंग दिल्ली में भी जमा, लेकिन पटना वाली बात नहीं थी.