मांझी के दावों की RJD में दिखी झलक, कहा- बाबा साहेब की जयंती अब रह गई है रस्म अदायगी
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मांझी के दावों की RJD में दिखी झलक, कहा- बाबा साहेब की जयंती अब रह गई है रस्म अदायगी

अंबेदकर जयंती के मौके पर आरजेडी कार्यालय में कार्यक्रम के दौरान नहीं पहुंचे बड़े नेता.

रविवार को आरजेडी कार्यालय में अंबेडकर जयंती कार्यक्रम का आयोजन हुई थी.

पटनाः बाबा साहब भीम राव अंबेदकर की जयंति अब बस रस्म अदायगी भर रह गई है. यह दावा हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने किया है. लेकिन उनके दावों की झलक महागठबंधन के सहयोगी दल आरजेडी के अंदर ही देखने को मिली है. पार्टी की ओर से बाबा साहब भीम राव अंबेदकर की जयंति रविवार को मनायी गयी. लेकिन पार्टी का कोई भी सीनियर लीडर कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ.
 
पूर्व सीएम जीतनराम मांझी अपने बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं. लेकिन रविवार को उनका दिया बयान इतनी जल्दी सच साबित हो जाएगा इसका अंदाजा किसी को नहीं था. दरअसल, रविवार को बाबा साहब भीम राव अंबेदकर की जयंती थी. सभी पार्टियों ने अपने-अपने स्तर पर कुछ न कुछ कार्यक्रम का आयोजन किया था. 

हम पार्टी में भी भीम राव अंबेदकर को श्रद्धाजलि दी गयी. लेकिन कार्यक्रम के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बड़ा बयान दे डाला. मांझी ने कहा कि बाबा साहब की जयंती अब रस्म अदायगी भर रह गई है. हम बाबा साहब के विचारों से भटक गये हैं और सिर्फ औपचारिकता निभा रहे हैं. जबकि संविधान बचाने के लिए आज उनके विचारों को अपनाने की सख्त जरुरत है. दलितों की राजनीति करनेवाले मांझी को भी खुद नहीं पता होगी कि उनके विचारों की झलक आरजेडी में देखने को मिल जाएगी.

दरअसल, आरजेडी की ओर से पार्टी कार्यालय में बाबा साहब भीम राव अंबेदकर की जयंती मानायी गयी. कार्यक्रम से एक दिन पहले पत्रकारों को सूचना दी गयी कि कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे समेत पार्टी के कई सीनियर लीडर मौजूद रहेंगे. लेकिन कार्यक्रम के दिन न तो रामचन्द्र पूर्वे नजर आए और न ही कोई पार्टी का सीनियर लीडर यहां पहुंचे. इतना ही नहीं तेजस्वी यादव भी पटना में रहते हुए पार्टी दफ्तर कार्यक्रम में शामिल होने नहीं पहुंचे. जब इस संदर्भ में कार्यक्रम में शामिल हुए पूर्व मंत्री सुरेश पासवान से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि लोकतंत्र का पर्व चल रहा है इसलिए नेता कार्यक्रम में नहीं आ सके.

अब सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मांझी ने जो कहा है वो बिलकुल सच है. क्या दलित वंचितों की राजनीति करनेवाले नेता बाबा साहब का नाम सिर्फ वोट बैंक के लिए ही जपते हैं. ऐसे में बाबा साहब के नाम पर सिर्फ सियासत चमकाने को कितना सही माना जा सकता है.