आरएलएसपी में टूट होने के बाद पार्टी कमजोर होते जा रही है. अब नागमणि ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
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नई दिल्लीः महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर मामला सुलझ नहीं पाया है. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा जिस आत्मविश्वास और भरोसे से महागठबंधन में आए थे. वह अब शायद खत्म होता दिख रहा है. आरएलएसपी पार्टी में जिस तरह से टूट मची है. उससे साफ है कि महागठबंधन में उनके सीटों के दावों को अब फेल समझा जाएगा. जिन नेताओं के भरोसे वह महागठबंधन में सीटों को लेकर दावे कर रहे थे अब वह उनके साथ नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में महागठबंधन में अब सीटों को लेकर आरएलएसपी को हैंडल करना आसान हो जाएगा.
आरएलएसपी पार्टी से जिस तरह से बड़े नेता छोड़कर अलग हो रहे हैं. उससे आरएलएसपी पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा का कद गिरता जा रहा है. जानकारों की मानें तो अब यह कयास लगाया जा रहा है कि आरएलएसपी को अब केवल उपेंद्र कुशवाहा के लिए एक सीट से ज्यादा नहीं देगी.
वहीं, महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर आरएलएसपी को हैंडल करना आसान हो जाएगा ऐसा माना जा रहा है. आरएलएसपी जो 3-4 सीट मांगने का दावा कर रही थी. अब इस दावे को महागठबंधन में तबज्जो नहीं दी जाएगी.
आपको बता दें कि रविवार को आरएलएसपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके नागमणि ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्हें पहले पार्टी ने पद से बर्खास्त किया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि वह जगदेव बाबू के कार्यक्रम में नीतीश कुमार के साथ शामिल हुए और उनकी तारीफ की. जिसके बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. लेकिन अब नागमणि ने पार्टी से इस्तीफ दे दिया.
वहीं, उन्होंने इस्तीफा देकर उपेंद्र कुशवाहा पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा केवल अपने लिए राजनीति करते हैं. वहीं, उन्होंने कुशवाहा पर टिकट बेचने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह टिकट केवल बेचने के लिए लेना चाहते हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि कुशवाहा केवल जनता को भ्रमित कर रहे हैं.
इससे पहले आरएलएसपी में तभी फूट हो चुकी थी जब उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ा था. उस समय ही आरएलएसपी के दो विधायक, एक एमएलसी और सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने उपेंद्र कुशवाहा का साथ छोड़ दिया. ऐसे में पार्टी उसी समय कमजोर हो गई थी. लेकिन नागमणि जैसे नेताओं के साथ उन्होंने आगे का रास्ता तय किया. लेकिन अब उन्होंने भी उनका साथ छोड़ दिया है.