सासाराम: पढ़ाई के साथ कई बच्चों की जिंदगी संवार रहीं फिज़ा, बड़ी बहन से मिली सीख
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सासाराम: पढ़ाई के साथ कई बच्चों की जिंदगी संवार रहीं फिज़ा, बड़ी बहन से मिली सीख

सुबह-शाम अपनी पढाई से समय निकाल कर वो गरीब बच्चों की न सिर्फ पढाती है बल्कि अपनी जरूरतें पूरी कर के बचे पैसे से उनकी मदद भी करती है. 

मुंबई मे रह रही अपनी बडी बहन से सीख लेकर फिजा ने गरीब बच्चों के लिए काम करना शुरू किया.

सासाराम: कहते हैं अगर आप में हौसला हो तो कोई भी काम आसान हो जाता है. बिहार के रोहतास के डिहरी की एक लडकी अपने हौसलों के दम पर स्लम बस्ती की 80 से 100 बच्चों की तकदीर बदल रही है. सुबह-शाम अपनी पढ़ाई से समय निकाल कर वो गरीब बच्चों को न सिर्फ पढाती है बल्कि अपनी जरूरतें पूरी करके बचे हुए पैसों से उनकी मदद भी करती है. 

सासाराम की रहने वाली फिज़ा आफरीन डिहरी का स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाना उनकी रूटीन का हिस्सा बन गया है. मुंबई मे रह रही अपनी बड़ी बहन से सीख लेकर फिज़ा ने डिहरी के गरीब बच्चों के लिए काम करना शुरू किया. फिज़ा के पिता दुकान चलाते हैं और मां हाउसवाइफ हैं. दोनों को ही अपनी बेटी के इस कार्य पर गर्व होता है. 

फिज़ा खुद डिहरी के महिला कॉलेज के बीए पार्ट-2 की छात्रा है. उसके द्वारा पढ़ाए बच्चे जब कुछ अच्छा करते हैं तो उसे भी खुशी मिलती है. अब तो आलम ये है कि अच्छे स्कूलों मे पढ़ने वाले बच्चे भी फिज़ा की क्लास में आना चाहते हैं और पढ़ाई करना चाहते हैं. 

फिज़ा की सोच समाज के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है. वो अपनी पढ़ाई से समय निकाल कर उन बच्चों के लिए काम कर रही है जो किसी ना किसी वजह से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. कहना गलत नहीं होगा कि वह अपने हाथों से  सैकडों बच्चो की तकदीर दिख रही है. फिज़ा की मां कहती हैं कि बच्चों के शक्ल मे उनके घर रोज फरिस्ते आते हैं.