बिहार एवं अन्यत्र बीजेपी विरोधी दलों के साथ गठबंधन करने के लिए हम तैयार हैं. हमारी शर्त बस यह है कि हमें सम्मानजनक सीटें मिलेंः येचुरी
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पटनाः मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने शुक्रवार (8 जून) को कहा कि नीतीश कुमार ने एनडीए में वापस आकर पीएम प्रत्याशी बनने का मौका गंवा दिया है. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी कहा कि अगले साल लोकसभा चुनाव में उसे यदि सम्मानजनक सीटों की पेशकश की गई तो वह बिहार एवं अन्य राज्यों में बीजेपी के विरोधी राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करने को तैयार है. येचुरी ने यहां कहा कि अगले चुनाव के लिए उनकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य बीजेपी नीत सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराना होगा.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इसी बात को ध्यान में रखकर सीपीएम की रणनीति बीजेपी विरोधी वोटों में विभाजन को रोकना होगी. उन्होंने कहा , ‘‘ बिहार एवं अन्यत्र बीजेपी विरोधी दलों के साथ गठबंधन करने के लिए हम तैयार हैं. हमारी शर्त बस यह है कि हमें सम्मानजनक सीटें मिलें. ’’ येचुरी अप्रैल में हुई पार्टी कांग्रेस के बारे में कार्यकर्ताओं को ब्रीफ करने के लिए यहां आए थे.
येचुरी जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अन्य बीजेपी विरोधी दलों के इस आकलन से सहमत हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस और आरजेडी के महागठबंधन से बाहर आकर 2015 के विधानसभा चुनाव के जनादेश के साथ विश्वासघात किया तो उन्होंने कहा , ‘‘ एक वक्त उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार के रुप में देखा जा रहा था. एनडीए में वापस आकर उन्होंने यह मौका गंवा दिया. ’’
बीजेपी-आरएसएस की दलित विरोधी नीतियों को आगे बढ़ा रही मोदी सरकार : येचुरी
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने इससे पहले 7 जून को मोदी सरकार पर बीजेपी और आरएसएस की दलित विरोधी नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था.येचुरी ने महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में दलित समुदाय के लोगों के खिलाफ पिछले दिनों की गयी पुलिस कार्रवाई की पार्टी पोलित ब्यूरो द्वारा की गई आलोचना का जिक्र करते हुये कहा था, ‘‘मोदी ने अपने प्रधान सचिव की तैनाती करने के लिये अध्यादेश लाने में देर नहीं की. लेकिन दलितों के मामले में वह अध्यादेश नहीं लायेंगे.’’
उन्होंने कहा कि यह बीजेपी-आरएसएस की दलित विरोधी राजनीति की हकीकत है. इससे पहले पार्टी पोलित ब्यूरो द्वारा जारी बयान में भीमा कोरेगांव में डा. बी आर अंबेडकर द्वारा शुरू किये गये आंदोलन की याद में जुटे दलित समुदाय के लोगों के खिलाफ की गयी पुलिस कार्रवाई पर विरोध जताते हुये इसकी निंदा की है. पोलित ब्यूरो ने इस तरह की कार्रवाई के विरोध में सभी लोकतांत्रिक संगठनों से इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आह्वान करते हुए महाराष्ट्र सरकार से दलितों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग की है.
(इनपुट भाषा से)