बिहार: थारू जनजाति सदियों से करते आ रहे हैं लॉकडाउन का पालन, PM ने मन की बात में किया जिक्र
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बिहार: थारू जनजाति सदियों से करते आ रहे हैं लॉकडाउन का पालन, PM ने मन की बात में किया जिक्र

इस बीच आवाजाही बंद कर ईश्वर की आराधना और वृक्षों की पूजा लोग अपने अपने घरों और गावों में सामाजिक दूरी बनाकर करते हैं, जिसकी सराहना आज पीएम मोदी ने मन की बात में भी किया. 

बिहार: थारू जनजाति सदियों से करते आ रहे हैं लॉकडाउन का पालन, PM ने मन की बात में किया जिक्र.

इमरान/बगहा: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण (Corona Virus) को लेकर लॉकडाउन देश और दुनिया के लिए भले ही नया अनुभव हो लेकिन बिहार के पश्चिम चंपारण जिला के थरुहट में थारू जनजाति समाज सदियों से ढाई दिनों तक पूरी रात और दिन लॉकडाउन की परंपरा का पालन आज भी करता चला आ रहा है. 

एक ओर कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण से बचाव को लेकर सरकार ने देशभर में लॉकडाउन ज़ारी किया, जिसमें सोशल डिस्टेंस का पालन करने के साथ मास्क पहनने की हिदायत और अपील की गई. वहीं नेपाल के तराई क्षेत्र में वाल्मीकि टाईगर रिजर्व जंगल से सटे इलाकों में बसे करीब तीन लाख थारू आदिवासी समाज में बरना पूजा अर्चना सदियों से चली आ रही है. 

इस बरना पूजा को ये थारू आदिवासी समाज के लोग एक पर्व की तरह मनाते हैं, जिसमें कोई भीड़ भाड़ नहीं और ना ही कोई शोर गुल होता है. यहां तक कि वृक्षों और पेड़ पौधों की पूजा अर्चना कर इस अवधि में कोई भी घास पात तक नहीं काटा जाता है. ख़ासकर हरियाली को लेकर यहां पेड़ पौधों की सुरक्षा समेत ख़ुद की सलामती को लेकर सदियों और पुरखों से थारू आदिवासी समाज अपने घरों में ख़ुद को कैद कर लेते हैं. 

इस बीच आवाजाही बंद कर ईश्वर की आराधना और वृक्षों की पूजा लोग अपने अपने घरों और गावों में सामाजिक दूरी बनाकर करते हैं, जिसकी सराहना आज पीएम मोदी(PM Modi) ने मन की बात में भी किया. 

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के थारू आदिवासी समाज की परम्परा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन के नियमों को लेकर थारू जनजाति समाज की सराहना की. इसको लेकर थारू बेहद खुश और आह्लादित होकर पीएम मोदी को धन्यवाद दे रहे हैं. 

चंपारण के थारूओं से आज देश और दुनिया को सबक लेने की जरूरत है कि यहां लोग कैसे साल में एक बार प्रत्येक वर्ष ढाई दिनों तक लॉकडाउन में ख़ुद को कैद कर लेते हैं.

दरअसल, बिहार के एक मात्र पश्चिम चंपारण जिले में थारू आदिवासी वाल्मीकिनगर से लेकर हरनाटाड़ और रामनगर समेत गौनाहा से लेकर सिकटा मैनाटाड़ के क्षेत्रों में इनकी ख़ास आबादी करीब तीन लाख की है, जहां प्रकृति की पूजा अर्चना प्राथमिकता है. ऐसे में यहां थारू समाज द्वारा बरना पूजा के साथ-साथ झमटा और झुमटा बिरहनी नृत्य की प्रस्तुति कर लोगों का मन मोह लेते हैं.
 
बता दें, कि साल में ढाई दिनों तक थारू समाज बरना पूजा भादो कुआर यानी अमूमन अगस्त के महीने में यह बरना पूजा पर्व की तरह मनाया जाता है, जहां गांव और टोले से जुटी महिलाएं भजन कीर्तन और झमटा बिरह्नी नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को मंत्र मुग्ध कर देती हैं. वहीं फरी की नाच और लोकगीत से आदिवासी समाज के कलाकार अपनी परंपरा को दर्शाते हैं.

वैसे तो स्वभाव से थारू आदिवासी बेहद व्यावहारिक, मददगार और अतिथि सत्कार करने वाले समाज के अतिपिछड़े लोग हैं, लेकिन खेती किसानी और ख़ुद के मेहनत के बदौलत आज इस समाज का रुझान नए तकनीक और पठन-पाठन की ओर अग्रसर है. 

यहीं वजह है की थरुहट की राजधानी बगहा 2 प्रखंड के हरनाटाड़ से सटे नारायण गढ़ पंचायत में सालों से चली आ रही परम्परा के मुताबिक, हर साल की तरह इस वर्ष भी बरना पूजा पर प्रमुख तीर्थ नारायण खतईत के नेतृत्व में ढाई दिनों तक यह पूजा चली. इस लॉकडाउन की अवधि में भी ठीक उसी तर्ज़ पर की जा रही है. जहां सोशल डिस्टेंस का पालन करते लोग मास्क पहने पूरी सादगी और सभ्य माहौल में घरों के समीप भक्ति आराधना और वृक्षों की पूजा अर्चना में लीन हैं. 

जैसे ही इनकी परम्परा का जिक्र पीएम मोदी ने किया ख़ुशी से झूम उठे. थारू समाज के पुरुष और महिलाओं ने भी पीएम का धन्यवाद किया.