झारखंड: चुनावी मैदान में दिग्गज नेताओं का लग रहा जमावड़ा, सब कर रहे अपने जीत के दावे
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झारखंड: चुनावी मैदान में दिग्गज नेताओं का लग रहा जमावड़ा, सब कर रहे अपने जीत के दावे

शायद, यही वजह है कि इस उपचुनाव के बहाने एक और जहां सत्तापक्ष यह जताने की कोशिश में है कि जनता उनसे खुश है. विपक्ष इस बात को लेकर जनता के बीच जा रही है उनकी जीत तय है और जनता सत्ता पक्ष से लोग नाराज है.

झारखंड: चुनावी मैदान में दिग्गज नेताओं का लग रहा जमावड़ा, सब कर रहे अपने जीत के दावे.

मृत्युंजय मिश्रा/बोकारो: झारखंड के बेरमो उपचुनाव को लेकर अब चुनावी मैदान में दिग्गज नेताओं का जमावड़ा के साथ ही जुबानी जंग तेज हो गई है. एनडीए जहां इस उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवारों के जीत के बाद राज्य सरकार के जल्द जाने की बात कह रही है.

वहीं, कांग्रेस और महागठबंधन भी इस जुबानी जंग में पीछे नहीं है और उन्होंने भी इसका करारा जवाब देते हुए बीजेपी और एनडीए को सब्जबाग नहीं देखने की हिदायत दे डाली है. उन्होंने कहा है कि यह सरकार 5 सालों तक चलेगी और दोनों विधानसभा उपचुनाव में जीत भी दर्ज करेंगे.
 
बेरमो का उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है, जहां राज्य के बड़े नेताओं का इस क्षेत्र में आना लगातार जारी है. दोनों ही पार्टियां अपने अपने तरीके से अब यह साबित करने में लगी है कि किसकी सत्ता अच्छी है. 5 साल की रघुवर सरकार की या फिर 9 महीने की हेमंत सरकार की.

शायद, यही वजह है कि इस उपचुनाव के बहाने एक और जहां सत्तापक्ष यह जताने की कोशिश में है कि जनता उनसे खुश है. विपक्ष इस बात को लेकर जनता के बीच जा रही है उनकी जीत तय है और जनता सत्ता पक्ष से लोग नाराज है.

एनडीए गठबंधन जहां अपनी गवाई हुई सीट पर अपनी वापसी की कवायद में जुटी है. वही, महागठबंधन भी इस सीट पर अपने कब्जे को हर हाल में बरकरार रखने के कवायद में जुटी हुई है. जीत किसकी होगी इसको लेकर सभी के दावे अलग-अलग है. 

रामेश्वर उरांव ने कहा कि एनडीए गठबंधन ने जहां 9 माह की झारखंड सरकार को नाकामी को गिना कर अपने लिए जीत की राह देख रही है. वही महागठबंधन पूर्व कि रघुवर सरकार की नाकामी गिनाकर जीत की वर्तनी पार करने में लगी है.

जाहिर है बेरमो की सीट दोनों ही गठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है, जहां एक ओर यहां के जीत से एनडीए राज्य की सत्ता में आने की बात कर रही है. वहीं, कांग्रेस ने एनडीए को यह संकेत दिया है कि अभी झारखंड की सत्ता उनके लिए काफी दूर है और ऐसे सपना देखना वह छोड़ दें.

जाहिर है इस चुनाव के नतीजे के बाद ही तय होगा कि किनके बातों में कितनी सच्चाई है.