Bagha Tiger Death: वाल्मीकि टाइगर परियोजना में नर बाघ मौत मामले की जांच में वीटीआर प्रमंडल एक के डीएफओ सह उप निदेशक अंबरीश मल्ल भी शामिल हैं.
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Bagaha: बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर परियोजना के गोबर्धना वन क्षेत्र में हुए बाघ (Tiger) की मौत मामले की जांच में स्नीफर डॉग की मदद ली गई है. वाल्मीकि टाईगर रिजर्व के गोबर्धना रेंज अंतर्गत सिरिसिया जंगल में 30 जनवरी को बाघ का शव मिला था. बाघ के शरीर पर जख्म के निशान थे. इस धटना से वन विभाग सकते में आ गया है.
जांच के लिए India-Nepal Border पर तैनात सशस्त्र सिमा बल (SSB) के ट्रेंड स्क्वॉयड डॉग (Dog Squad) दल की मदद से खोजबीन जारी है. वीटीआर के सीएफ सह निदेशक हेमंत कांत राय को घटनास्थल के पास जो भी सबूत होने की आशंका है, उसे इसकी मदद से आसानी से ढूंढ़े जाने की उम्मीद है. इस खोजबीन में वन अधिकारियों की टीम के साथ सशस्त्र सीमा बल 21 वाहिनी के सदस्य भी शामिल हैं.
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दरअसल वाल्मीकि टाईगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) के गोबर्धना वन के कक्ष नं 25 के आसपास के क्षेत्र को जांच का केंद्र बिंदु बनाया गया है. 20 सदस्यो को बाघ मौत मामले में जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. निष्पक्ष जांच के लिए वीटीआर के सीएफ खुद इसकी जांच के समय घटनास्थल के पास मौजूद रहे और उनकी देखरेख में सभी सदस्य सबूतों को जुटाने में जुटे हुए हैं.
बता दें कि वाल्मीकि टाईगर अभयारण्य में नर बाघ मौत मामले की जांच में वीटीआर प्रमंडल एक के डीएफओ सह उप निदेशक अंबरीश मल्ल भी शामिल हैं. गोबर्धना वन की सीमा में Patrolling करते वनकर्मियों ने गोबर्द्धना सिरिसिया जंगल में एक मरा हुआ बाघ का मृत शरीर देखा था, जिसके बाद हड़कंप मच गया. एक ओर बाघों की संख्या की गिनती तो दूसरी ओर संदिग्ध परिस्थितियों में हुए वनराज की मौत से वन विभाग के अधिकारियों के होश उड़ गए हैं हालांकि. सीएफओ ने यह भी संभावना जाहिर की है कि बाघों के आपसी वर्चस्व के बीच हुए संघर्ष में मौत हो सकती है. मृत बाघ के शरीर पर ज़ख़्म के निशान की जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार है.
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देश भर में VTR ने बाघों कि बढ़ती संख्या को लेकर खूब वाहवाही बटोरी और पिछले साल पीएम मोदी ने इसे देश के टॉप 5 रैंक के सम्मान से नवाजा था. यहां 35 के करीब बाघों की संख्या आंकी गई है और 500 कैमरा (Camera) ट्रैप के जरिए इनकी गणना चल ही रही थी. एक नर बाघ की मौत ने विभाग को फिलहाल मुश्किलों में डाल दिया है.
इससे पहले शिकारियों ने आयरन ट्रैप (Iron Trap),जलाकर कभी जहर देकर तो कभी जाल में फंसाकर बाघों का शिकार किया है. यहां बाघों का शिकार कैसे किया जाता है इसकी जानकारी भी पिछले साल नरसिंह गुरो और हरि गुरों नाम के शिकारियों की गिरफ्तारी के बाद हुई थी. अब बाघ की मृत्यु के बाद से बाघों की सुरक्षा पर फिर से सवाल उठने लगे है.
(इनपुट- इमरान अज़ीज)