कल्पवास सिमरिया में गंगा तट पर सदियों से चली आ रही परंपरा है. देश में धार्मिक आस्था के इस प्रमुख केंद्र पर लोग जाति, धर्म, अमीरी-गरीबी से ऊपर उठकर हरी-भरी झोपड़ियों में रहते हैं, भक्ति भाव से गंगा की पूजा करते हैं और मोक्ष पाने के लिए तपस्या करते हैं. आस्था का यही रूप कल्पवास की परंपरा को बेहद खास और अलग बनाता है. जाति, धर्म, अमीरी-गरीबी से परे एक महीने तक गंगा के किनारे हरी-भरी झोपड़ियों में एक साथ रहने वाले लोग भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का बेहतर उदाहरण पेश करते हैं. मिथिलांचल के लोगों के लिए बेहद खास माने जाने वाले सिमरिया के इस तट पर देश ही नहीं बल्कि नेपाल के भी श्रद्धालु कल्पवास के लिए आते हैं और पूरे एक महीने तक उन्हें एक अलग और अनोखी दुनिया का अनुभव होता है, जो लोगों के लिए दिलचस्प है. यह अब देश-विदेश के लोगों के लिया आकर्षण का केंद्र बन गया है.