नालंदा : लोकसभा चुनाव के 10 दिन बाद भी दहशत में हैं इस गांव के लोग, जानें कारण
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नालंदा : लोकसभा चुनाव के 10 दिन बाद भी दहशत में हैं इस गांव के लोग, जानें कारण

दरअसल 19 मई को चुनाव के दौरान गांव के लोगों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का नारा देते हुए मतदान का बहिष्कार कर दिया. गांव वाले सड़क के मुद्दे पर वोट देने को तैयार नहीं थे.

पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है.

नालंदा : लोकसभा चुनाव के दस दिन बीत जाने के बाद भी राजगीर प्रखंड के चनौरा गांव में पुलिस के दहशत का महौल बना हुआ है. 100 से अधिक घरों में पुरुष खोजने से भी नहीं मिल पा रहे हैं. लोग चोरी-छिपे घर आते हैं और जैसे की किसी गाड़ी की आवाज सुनाई देती है कि पूरे गांव में भगदड़ मच जाती है. आलम यह है कि पुलिस के खौफ से कई लोग पलायन भी कर चुके हैं.

दरअसल 19 मई को चुनाव के दौरान गांव के लोगों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का नारा देते हुए मतदान का बहिष्कार कर दिया. गांव वाले सड़क के मुद्दे पर वोट देने को तैयार नहीं थे. आरोप है कि राजगीर प्रखंड विकास पदाधिकारी रंजन लाल निगम ने जबरन एक महिला से वोट डलवा दिया. यह देख गांव के लोग भड़क गए और बीडीओ से बहस और हाथापाई होने लगी.

पुलिस भी लोगों को बेरहमी से पीटने लगी. आरोप है कि घर में घुसकर महिलाओं के साथ भी मारपीट भी हुई. घर में रखे टीवी और बाइक सहित अन्य सामान तोड़ दिए गए. इस मामले में 16 लोगों को नामजद और 70 अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.

गांव के गुड्डू मुखिया समेत चार युवक को भी पकड़ लिया गया. इस घटना के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है. इस मामले में जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने कहा कि नामजद लोगों के अलावा किसी किसी को भी डरने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि अनुमंडल पदाधिकारी और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को वहां भेजकर लोगों में विश्वास पैदा करेंगे कि डरने की कोई आवश्यकता नहीं है. केवल जो दोषी हैं उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई हुई है और होगी.

उन्होंने कहा कि जो भी लोग इस प्रकार का अफवाह फैला रहे हैं या लोगों को प्रताड़ित करते हैं, वह अच्छी बात नहीं है. उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि जो भी अज्ञात लोगों का नाम दिया गया है उनकी पहचान वीडियो फुटेज और फोटो के आधार पर की जाएगी.