Bettiah Ration Card News: बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया में व्यवस्था के अधिकारियों की ऐसी लापरवाही सामने आई है. जिसे देख आप हैरान हो जाएंगे. अधिकारियों के लापरवाही से यहां के कई परिवार दाने-दाने को मोहताज है. किसी वक्त उनका चूल्हा जलता है, किसी वक्त उनका चूल्हा नहीं जल पाता है. समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति के पास राशन कार्ड तक नहीं है. इन गरीब परिवारों को राशन तक नहीं मिल पाता है. विकास की रौशनी आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्तियों के पास आज तक नहीं पहुंच पाई है.
अधिकारीयों की लापरवाही के वजह से यहां के 3 परिवार के दर्जनों सदस्य कभी-कभी भूखे सो जाते है. देखें मर्माहत कर देने वाली ये तस्वीरें... बिहार के पश्चिम चम्पारण के बेतिया के मझौलिया प्रखंड का यह हरपुर गढ़वा पंचायत का वार्ड नंबर 19 है. जहां मुस्मात तारा देवी के घर में इनके पति का देहांत हो चुका है. इनके 6 बच्चे हैं, गरीबी का दंश झेल रहे इस परिवार के पास राशन कार्ड तक नहीं है.
इनके पास घर छोड़ कोई जमीन भी नहीं है. तारा देवी मजदूरी कर अपने बच्चों का भरण पोषण करती है. इनको आज तक कोई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिली है. तारा देवी बताती है कि राशन कार्ड के लिए मुखिया से लेकर अधिकारियों के दरवाजे तक खटखटा चुकी है, लेकिन इनका राशन कार्ड अभी तक नहीं बन पाया है.
तारा देवी बताती है कि कभी-कभी उसके बच्चे भूखे सो जाते हैं. सरकार मुझे राशन कार्ड दे देती तो मेरे बच्चे कभी नहीं भूखे सोते. ये दर्द 6 बच्चों की मां की है. जिसके घर में कमाने वाला कोई नहीं है. तारा देवी के पति का देहांत हो गया है. वहीं, इन्हें और इनके बच्चों को गरीबी अलग मार रही है. उपरवाले ने पति को छीन लिया है, व्यवस्था ने राशन भी देना मुनासिब नहीं समझा है. आखरी पायदान पर खड़ा यह परिवार कहां जाये, अधिकारीयों की लापरवाही से यह परिवार बेबस और लचार है.
वहीं, एक और ऐसा ही मामला बेतिया के हरपुर गढ़वा पंचायत के वार्ड नंबर 20 से है. जहां 8 सदस्यों के परिवार को आज तक राशन कार्ड नहीं मिला है. यह करमुल्लाह मियां का परिवार है, जिनको राशन नहीं मिलता है. यह परिवार भी अधिकारियों से गुहार लगा थक चुका है, लेकिन इनका भी नाम राशन कार्ड में नहीं जुड़ा है. ये परिवार भी आखरी पायदान पर खड़ा परिवार है. जो गरीबी और व्यवस्था की मार झेल रहा है.
ऐसा ही एक और मामला बेतिया के हरपुर गढ़वा पंचायत के वार्ड नंबर 18 से है. जहां दो बुजुर्ग दंपत्ति जिनकी उम्र करीब 65 से 70 साल की है. बख्शीश मियां और कुरैशा देवी झोपड़ीनुमा घर में रहते हैं. यह गांव से मांग कर अपना खर्च चलाते है. उम्र की ऐसी सीमा है, जिससे यह मजदूरी भी नहीं कर सकते हैं. इनका नाम भी राशनकार्ड में नहीं है. यह परिवार भी कभी-कभी भूखा सो जाता है.
बुजुर्ग दंपत्ति कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर लगा चुका है. इस बुजुर्ग दंपत्ति की एक बेटी है, जिसकी शादी ये कर चुके है. वह अपने ससुराल चली गई है. इन बुजुर्गों को देखने वाला परिवार में कोई नहीं है. मांग कर खाने वाले इस परिवार को आज तक राशन कार्ड की व्यवस्था नहीं दी गई है. बुजुर्ग दंपत्ति का कहना है कि लोग दे देते हैं, तो हम लोग खा लेते हैं. राशनकार्ड होता तो लोगों से मांग कर खाने की जरूरत नहीं पड़ती.
जिस देश का ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी हो, अरब डॉलर का विदेशी भंडार हो, रोज शिखर छूता शेयर बाजार हो, क्या वहां की व्यवस्था के ऐसे लापरवाह अधिकारी हो? जिसकी वजह से आखिरी पायदान पर खड़े लोगों के बीच सरकार की योजना नहीं पहुंची हो. तो ऐसे अधिकारियों पर सरकार को सख्त से सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है. ताकि कोई भी व्यक्ति देश में दाने-दाने को मोहताज न हो. (इनपुट - धनंजय द्विवेदी)
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