महिला कांग्रेस के नेता का बड़ा बयान, 'हथियार तो खरीद लिए, मालूम नहीं था कि कैसे और कौन चलाएगा'
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महिला कांग्रेस के नेता का बड़ा बयान, 'हथियार तो खरीद लिए, मालूम नहीं था कि कैसे और कौन चलाएगा'

पटना का उदाहरण देते हुए मुमताज ने कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा के लिए हमने काफी पसीना बहाया, लेकिन जिस दरवाजे हम गए वहां हमें यही जानकारी मिली की शत्रुघ्न सिन्हा यहां आए ही नहीं.

महिला कांग्रेस ने की समीझा बैठक.

पटना : कांग्रेस में लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन का दौर जारी है. बिहार कांग्रेस कमेटी से पहले महिला कांग्रेस कमेटी ने मंगलवार को हार की समीक्षा के लिए बैठक बुलायी. बैठक के दौरान महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमिता भूषण ने बड़ा बयान देकर सबको चौंका दिया. बिहार में महागठबंधन को लेकर अमिता भूषण ने कहा कि हमने हथियार तो अच्छे खरीद लिए, लेकिन ये ही नहीं मालूम था कि चलेगा कैसे और चलाएगा कौन. समीक्षा बैठक में महिला कांग्रेस की कई नेताओं ने महागठबंधन की नीति और नीयत पर सवाल खड़े किए हैं.

बिहार महिला कांग्रेस कमेटी की समीक्षा बैठक काफी गहमागहमी भरी रही. हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में महिला कांग्रेस की नेताओं ने अपनी बात रखी. पार्टी की बुरी हार पर अपने विचार रखते हुए कांग्रेस नेत्री डॉ. मुमताज रूही ने कहा कि हमारे कैंडिडेट तो जनता के बीच गए ही नहीं.

पटना का उदाहरण देते हुए मुमताज ने कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा के लिए हमने काफी पसीना बहाया, लेकिन जिस दरवाजे हम गए वहां हमें यही जानकारी मिली की शत्रुघ्न सिन्हा यहां आए ही नहीं.

पार्टी की हार पर विचार रखते हुए दूसरी कांग्रेस नेत्री फरहत जबीं शकील ने कहा कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा न तो सही समय पर हुआ और न ही सही उम्मीदवार को टिकट दिया गया. वहीं, महिला नेत्री संगीता सिंह ने सहयोगी दलों की ओर से सवर्ण आरक्षण के विरोध को पार्टी की हार के लिए बड़ा कारण बताया. विधायक भावना झा ने पहले कांग्रेसी नेताओं को खुद सही होने की सलाह दे डाली.

पार्टी की बुरी हार को लेकर सबसे बड़ा बयान महिला कमेटी की अध्यक्ष अमिता भूषण का आया. अमिता भूषण ने कहा कि चुनाव के लिए हमने हथियार तो अच्छे खरीद लिए लेकिन हमें नहीं मालूम था कि ये चलेंगे कैसे और इन्हें चलाएगा कौन. उन्होंने कहा कि बिहार में महागठबंधन तो हो गया, लेकिन ये सिर्फ सतही ही रहा. सहयोगी दलों के किसी भी जिलाध्यक्ष के साथ हमारी कोई भी बैठक नहीं हुई. इसके कारण आपसी तालमेल नहीं बन सका.

अमिता भूषण ने भले ही बयान के जरिये महिला कांग्रेस की भावना जाहिर कर दी हो, लेकिन जिस तरह से उन्होंने सहयोगी दलों को हथियार बताकर खरीदे जाने की बात कही है. ये अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है. क्या कांग्रेस ने चुनाव जीतने और सहयोगियों की संख्या बढ़ाने के लिए पैसों का इस्तेमाल किया?