बिहार: इलाज छोड़ झाड़-फूंक कराने से युवती की हुई मौत, जांच में जुटी पुलिस
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बिहार: इलाज छोड़ झाड़-फूंक कराने से युवती की हुई मौत, जांच में जुटी पुलिस

 युवती का झाड़-फूंक गांव पिछले कई महीनों से हो रहा था लेकिन आज उसकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि झाड़-फूंक करने वाले लोग उन्हें इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने देते थे.

ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस मामले की तफ्तीश में जुट गई है.

बगहा: बिहार के बगहा के लुक्ष्मीपुर गांव में झाड़-फूंक के क्रम में एक युवती के मौत का मामला सामने आया है. मिली जानकारी के अनुसार युवती का झाड़-फूंक गांव पिछले कई महीनों से हो रहा था लेकिन आज उसकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि झाड़-फूंक करने वाले लोग उन्हें इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने देते थे. ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस मामले की तफ्तीश में जुट गई है. 

आपको बता दें कि लक्ष्मीपुर निवासी कृष्णा चौतरिया की 20 वर्षीय बेटी कल्पना कुमारी कई सालों से बीमार चल रही थी. इसके बाद गांव के ही कुछ लोगों ने अपने घर पर बुलाकर झाड़-फूंक करना शुरू किया और मृतक के परिजनों को दिलासा देते रहे कि इलाज के लिए अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है. युवती झाड़-फूंक से ही ठीक हो जाएगी और तकरीबन 9 माह से गांव के हीं जगदीश चौतरिया के घर में अंधविश्वास का यह खेल बदस्तूर जारी था.

 
गांव के दिलीप महतो ने बताया कि बार-बार मना करने के बावजूद भी आरोपियों ने झाड़-फूंक का कारोबार बंद नही किया. प्रशासन को भी पहले से ही इसकी सूचना दी गई थी और इसके पहले भी इस तरह की कई घटनाएं घट चुकी हैं. लेकिन ये लोग झाड़-फूंक से इलाज करने से बाज नही आते. वहीं, मृतका की चाची का कहना है कि जबरन आरोपी लोग बुलाकर झाड़-फूंक से बीमारी ठीक करने का दिलासा देते थे और उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने देते थे. 

जबकि झाड़-फूंक करने वाली महिला का कहना है कि वो जबरन कभी किसी को नहीं बुलाई. लोग खुद से उसके पास आते हैं. इस घटना को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीणों का आरोप है कि परिवार सहित कुछ अन्य लोगों ने हाल के कुछ वर्षों में ईसाई धर्म अपना लिया है और आस-पास की बीमार महिलाओं का इलाज झाड़-फूंक का तरीका अपना कर करते हैं. इसके पहले भी कई घटनाएं घट चुकी हैं लेकिन आज झाड़-फूंक के क्रम में युवती की मौत के बाद मामला तूल पकड़ लिया है. 

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुच पड़ताल शुरू कर दी है. पुलिस के लिए यह मामला काफी पेचीदा बनता जा रहा. ग्रामीण न्याय और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. अब सवाल यह है कि आज के इस आधुनिक वैज्ञानिक युग में भी गंभीर बीमारियों का झाड़-फूंक में इलाज़ करवाने से लोग बाज़ क्यों नहीं आ रहे हैं.