महाराष्ट्र के पूर्व CM फडणवीस और राज ठाकरे की हुई मुलाकात, बन रहे ये समीकरण!
क्या महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति नई करवट लेने जा रही है?
मुंबई: क्या महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति नई करवट लेने जा रही है? राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने अपनी पत्नी अमृता फडणवीस के साथ मुंबई के दादर में बने राज ठाकरे (Raj Thackeray) के नए घर में जाकर उनसे मुलाकात की.
अनौपचारिक माहौल में हुई चर्चा
सूत्रों के मुताबिक राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने देवेंद्र फडनवीस (Devendra Fadnavis) को नए घर 'शिवतीर्थ' में आने का न्योता दिया था. जब फडनवीस अपनी पत्नी के साथ उनके घर पहुंचे तो राज ठाकरे और उनकी पत्नी शर्मिला ठाकरे ने उनका स्वागत किया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक चारों लोग बेहद अनौपचारिक माहौल में राज ठाकरे के नए घर की बालकनी में चर्चा करते नज़र आए.
क्या BMC चुनाव में साथ आएंगे दोनों दल?
यूं तो बीजेपी की तरफ से इस बात को महज शिष्टाचार मुलाक़ात का नाम दिया जा रहा है. लेकिन जानकार इसे अगले साल होने वाले BMC चुनाव में बीजेपी-MNS के बीच संभावित गठबंधन के एंगल से देख रहे हैं. देश की सबसे रईस महानगरपालिका बीएमसी जिसका इस साल का बजट क़रीब 39 हजार करोड़ का है. BMC चुनाव अगले साल फरवरी में होने हैं. उस पर करीब तीन दशक से शिवसेना का कब्जा बना हुआ है.
हालांकि वर्ष 2017 में बीजेपी ने 82 सीटें जीतकर BMC में शिवसेना को तगड़ा झटका दिया था. उस चुनाव में शिवसेना को 84 सीटें मिली थी. बाद में MNS के 7 में से 6 पार्षद पार्टी छोड़कर शिवसेना में शामिल हो गए थे. जिसके चलते MNS की शिवसेना से खटास और बढ़ गई थी.
फडनवीस-राज के रहे हैं अच्छे संबंध
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के मुख्यमंत्री काल में उनके राज ठाकरे (Raj Thackeray) से संबंध अच्छे रहे हैं. राज्य में कभी शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन था लेकिन अब शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाविकास आघाडी में शामिल है. ऐसे में बीजेपी विकल्प के रूप में एमएनएस पर विचार कर रही है.
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अपना राजनीतिक ट्रैक बदल रहे ठाकरे
MNS की भूमिका कभी उत्तर भारतीय और बीजेपी विरोधी रही है. लेकिन राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने साल 2020 में अपनी पार्टी के झंडे को भगवा बनाते हुए मराठी माणुस से ज्यादा हिंदुत्व के मुद्दे को अपनाया है. यही नहीं पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियो को खदेड़ने के लिए मोदी सरकार को समर्थन दिया था.
ज़ाहिर है कि ऐसे में दोनों पार्टियां अपने अपने सियासी नफे नुकसान को ध्यान में रखकर नए राजनीतिक समीकरणों पर विचार कर सकती है. हालांकि दोनों में चुनावी गठबंधन हो ही जाएगा. यह कहना अभी जल्दबाजी होगी.
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