नई दिल्ली : विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराए जाने को लेकर बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिया है. पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकारें 'एक देश, एक चुनाव' पर आम सहमति बनाएं. आम सहमति बनाने के लिए सभी नेताओं (पक्ष-विपक्ष) से बात करने की सलाह दी गई है. बीजेपी के महासचिव भूपेंद्र यादव ने इस बारे में एक पत्र सभी बीजेपी शासित राज्यों को लिखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में एकसाथ चुनाव कराए जाने के पक्ष में हैं. वह पिछले कुछ समय से लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. उन्होंने विपक्ष के नेताओं से भी केंद्र और राज्य के चुनाव एकसाथ कराए जाने पर चर्चा की थी. कुछ राज्यों ने केंद्र की इस मंशा का समर्थन भी किया है. 


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चुनाव होली की तरह होना चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जी न्यूज’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि चुनाव भी त्यौहारों की तरह होने चाहिए, जैसे कि होली में आप रंग फेंकते और कीचड़ भी फेंकते हैं और फिर अगली बार तक के लिए भूल जाते हैं. उन्होंने कहा, ‘लॉजिस्टिक के नजरिए से देखें तो ऐसा लगता है कि देश हमेशा चुनावी मूड में हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनावों की तिथियां भी तय होनी चाहिए, ताकि नेता और नौकरशाह पूरे साल चुनाव कराने और चुनाव प्रचार की प्रक्रिया में शामिल नहीं रहे. 


पीएम मोदी ने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों के मतदाता सूची एक होने की भी पैरवी की. यह पूछे जाने पर कि क्या एक साथ चुनाव का उनका लक्ष्य पूरा हो सकेगा तो नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘यह किसी एक पार्टी या किसी नेता का एजेंडा नहीं है. देश के फायदे के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए.’


एकसाथ हो सकते हैं चुनाव, EC ने कहा वह पूरी तरह से तैयार


राष्ट्रपति ने किया था समर्थन
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में अपने अभिभाषण में कहा था कि बार-बार चुनाव होने से मानव संसाधन पर बोझ तो बढ़ता ही है, आचार संहिता लागू होने से देश की विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है. इसलिए एकसाथ चुनाव कराने के विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए. बजट सत्र के प्रथम दिन अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सभी दलों का आह्वान किया कि राष्ट्र निर्माण एक अनवरत प्रक्रिया है, जिसमें देश के हर व्यक्ति की अपनी-अपनी भूमिका है.


‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ एक और जुमला है : कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम


कांग्रेस ने बताया जुमाला
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के इस सुझाव का विरोध करते हुए इसे महज एक चुनावी जुमला बताया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक और जुमला करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह वर्तमान संवैधानिक प्रावधान के अंतर्गत संभव नहीं है. चिदंबरम ने कहा कि भारत का संविधान किसी भी सरकार को निश्चित कार्यकाल नहीं प्रदान करता है और जबतक उसमें संशोधन नहीं किया जाता है तब तक कोई भी एक साथ चुनाव नहीं करा सकता. उन्होंने कहा, "संसदीय लोकतंत्र में, विशेष तौर पर तब जब 30 राज्य हों, वर्तमान संविधान में आप एक साथ चुनाव नहीं करा सकते. यह एक और चुनावी जुमला है. एक राष्ट्र, एक टैक्स भी एक जुमला था."   


चुनाव आयोग ने भी दिए संकेत
चुनाव आयोग ने भी सरकार से कहा था कि व‍ह लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ कराने में सक्षम है. केंद्र सरकार ने निर्वाचन आयोग को पूछा था कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने के लिए सक्षम होने के लिए उसे किस चीज की जरूरत है. इसके जवाब में निर्वाचन आयोग ने नई ईवीएम एवं वीवीपीएटी मशीनें खरीदने के लिए केंद्र से कोष की मांग की थी. यह हमें मिल भी गया है. आयोग ने कहा कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने के लिए आवश्यक संसाधन सितंबर, 2018 तक जुटाने में सक्षम हो जाएगा.