Shyam Benegal: 8 नेशनल, दादासाहेब फाल्के, पद्म भूषण और पद्म श्री... सबसे कामयाब फिल्म निर्देशक की नायाब 90 जिंदगी
Cinema Pioneer Shyam Benegal: फिल्म मेकिंग को अपने खून-पसीने से सीचने वाले श्याम बेनेगल अमर हो चुके हैं. सिनेमा जगत में शोक है. उनसे जुड़े किरदार पुरानी यादों के सहारे उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
Cinema Pioneer Shyam Benegal Biography: 'हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है. बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा'. बॉलीवुड की बात करें तो फिल्म निर्देशन की दुनिया के एक चमकता सितारा 23 दिसंबर को अस्त हो गया. यहां बात पॉयनियर और पॉपुलर फिल्म डायरेक्टर श्याम बेनेगल की जो 90 साल की उम्र में उस परमात्मा से जा मिले जिसने उन्हें दुनिया को भारतीय सिनेमा की समझ सिखाने के लिए भेजा था. सदाबहार निर्देशक श्याम बेनेगल अपने आप में पूरा पैकेज थे.
बॉलीवुड में 50 साल का सफर
श्याम बेनेगल साहब लिजेंड थे. वो फिल्म निर्माण की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बारीकी के जानकार थे. सिनेमा के निर्माण में उनके प्राण बसते थे. 90 साल की उम्र में भी वो बहुत खुशहाल और संतुष्ट दिखते थे. कुछ दिनों से बीमार होने के बावजूद एक्टिव थे. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अपना 90वां जन्म दिन मनाया था तब उनके हाथ के निकले तमाम दिग्गज कलाकार अपने आराध्य को बधाई देने पहुंचे थे.
कामयाब निर्देशक की जिंदगी का सफरनामा
श्याम बेनेगल का पूरा नाम श्याम सुंदर बेनेगल था. महान डायरेक्टर का जन्म 14 दिसम्बर 1934 को हैदराबाद के मिडिल क्लास परिवार में हुआ. बेनेगल साहब रिश्ते में मशहूर अभिनेता और फिल्मनिर्माता गुरुदत्त के कजिन भाई थे. पिता को देखकर उनकी दिलचस्पी फोटोग्राफी में हुई. आगे श्याम बेनेगल अर्थशास्त्र में MA करने के बाद फोटोग्राफी करने लगे. उन्होंने एड एजेंसियों के लिए कई फिल्में बनाई थीं. फिल्म और एड बनाने से पहले श्याम बेनेगल ने बतौर कॉपी राइटर काम किया.
कैसे शुरू हुआ फिल्मी करियर
श्याम बेनेगल ने फिल्म डायरेक्शन की शुरुआत साल 1974 में फिल्म 'अंकुर' से की. अंकुर, सामाजिक मुद्दों पर बनीं थी. इस फिल्म ने उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर पहचान दिलाई. पहली फिल्म अंकुर में उन्होंने किसानों का मुद्दा उठाया था.
वहीं, 'मुजीब - द मेकिंग ऑफ अ नेशन' उनके करियर की आखिरी फिल्म थी. मुजीब की शूटिंग दो साल चली फिर भी उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया. यह फिल्म मुजीबुर रहमान की जिंदगी पर आधारित थी. उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी, जिसे उस दौर में बहुत पसंद किया गया. कुछ और महान फिल्मों की बात करें तो श्याम बेनेगल ने 'निशांत', 'मंथन', 'भूमिका' और 'सरदारी बेगम' जैसी माइल स्टोन फिल्में बनाईं.
सिनेमा को दिए महान कलाकार
श्याम बेनेगल की फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को बेहतरीन कलाकार दिए, जिनमें नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और सिनेमेटोग्राफर गोविंद निहलानी का नाम सबसे पहले आता है. बेनेगल साहब ने न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि दूरदर्शन के लिए भी तमाम कालजयी धारावाहिकों का निर्माण किया. दूरदर्शन की स्थापना 1959 में हुई थी और तभी से 1990 के दशक तक ये मंच देश में मनोरंजन का प्रमुख साधन रहा. जिसमें बेनेगल का भी अहम योगदना रहा. उन्होंने 'भारत एक खोज', कथा सागर और यात्रा जैसे शानदार TV सीरियल तैयार किए.
अवार्ड्स का महारथी - सबसे कामयाब फिल्म निर्देशक
श्याम बेनेगल ने 45 डॉक्यूमेंट्री और 15 एड फिल्म्स भी बनाईं. मेकिंग ऑफ द महात्मा, नेताजी सुभाष चंद्र बोसः द फॉरगॉटेन हीरो जैसी दर्जनों बेहतरीन फिल्मों को उन्होंने अपने हाथों से तराशा. बेनेगल को साल 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. बॉलीवुड में सबसे ज्यादा आठ नेशनल फिल्म अवार्ड श्याम बेनेगल की झोली में ही गिरे. इस तरह भारत में सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड इन्हीं के नाम रहा. जिसे कोई अबतक नहीं तोड़ पाया. महान फिल्म निर्माता को साल 2005 में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया था.
भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत
फिल्म मेकिंग के काम को अपने खून-पसीने से सीचने वाले श्याम बेनेगल अमर हो चुके हैं. सिनेमा जगत में शोक है. उनके साथ जुड़े किरदार, पुरानी यादों के सहारे उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं. इसी के साथ 23 दिसंबर 2024 को भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत हो गया. नमन...आप यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे श्याम बेनेगल सर RIP.