कृषि प्रधान देश में जब भी खेती की बात होती है तो सबसे पहले कमाई का ध्यान आता है और मन में सवाल उठता है कि क्या खेती से इतनी कमाई हो सकती है कि आम इंसान एक अच्छे पैकेज वाले जॉब की जगह इसे चुन सकता है. ज्यादातर मामलों में लोगों को नकारात्मक उत्तर ही मिलता है. वहीं कुछ लोग कमाई को लेकर भरोसा नहीं होने की वजह से इस क्षेत्र में आने से कतराते हैं. हालांकि, इसके पीछे एक खास वजह खेती करने के तरीके के बारे में पता न होना भी है. 


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दरअसल, भारत के आम लोगों में खेती का मतलब गेंहू, चावल, दाल और सब्जियों तक ही सीमित देखा गया है. हालांकि, वैज्ञानिक तरीके से अगर अन्य दूसरी चीजों की खेती की जाए तो उससे भारी फायदे की संभावना होती है. कई ऐसे फसल हैं जिनमें कमाई की अपार संभावनाएं हैं और उन्हीं में से एक है नारियल की खेती (Coconut Farming).


नारियल का व्यापार ऐसा है जो आपको एक बार की मेहनत के बाद 80 सालों तक कमाई का जरिया बना रह सकता है. यानी आप एक बार इसे लगाने पर मेहनत कीजिए और सालों तक मामूली देखभाल के साथ कमाई कर सकते हैं. दरअसल, नारियल के पेड़ 80 वर्षों तक फल देते हैं. ये वो फल है जिसका इस्तेमाल देश के हर कोने में हर सीजन में होता है. धार्मिक कामों से लेकर बीमारियों और तेल, शैंपू समेत कई अन्य प्रोडक्ट में इसका इस्तेमाल किया जाता है.


भारत नारियल के उत्पादन में कहां है?
भारत नारियल के पैदावार के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है. देश के 21 राज्यों में इसकी खेती की जाती है. अब सवाल उठता है कि कमाई का खतरनाक जरिया बन जाने वाले इस फल की खेती कैसे होती है? तो नारियल की खेती की शुरुआत में हमें इस बात की जानकारी का होना जरूरी है कि हम किस प्रजाति के नारियल की खेती करना चाहते हैं. 


एक बार में न लगाएं सभी पौधें
नारियल की खेती की शुरुआत में आप कुछ-कुछ महीनों के गैप पर पौधें लगाएं ताकि जब ये बड़े हों तो पूरे सालभर आपको इनका फल मिलता रहे. फायदे की बात ये है कि इस फल की खेती कीटनाशक और महंगे खाद के बिना भी की जा सकती है. हालांकि, कुछ कीट इसे नुकसान जरूर पहुंचा सकते हैं जिनके लिए अगर थोड़ा भी ध्यान दिया जाए तो उससे बचाया जा सकता है.


नारियल के लिए कैसी मिट्टी की जरूरत?
इसकी खेती के लिए मिट्टी का चयन सबसे जरूरी माना जाता है. क्योंकि नारियल काली और पथरीली मिट्टी में नहीं उगते. इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी वाली जमीन को बेहतर माना जाता है. इसके लिए गर्म मौसम का होना भी जरूरी है. 


नारियल की प्रजाति
भारत में मुख्यत: तीन प्रजातियों के नारियल पाए जाते हैं, जिनमें संकर प्रजाति, बौनी प्रजाति और लंबी प्रजाति शामिल है. लंबे आकार वाले नारियल के पेड़ की उम्र सबसे ज्यादा होती है और इसकी खेती अन्य दो के मुकाबले ज्यादा आसान मानी जाती है. बौनी प्रजाति के नारियल आकार में छोटे होते हैं और इसकी खेती में ज्यादा पानी लगता है. हालांकि, संकर प्रजाति के नारियल का उत्पादन बौनी और लंबी प्रजाति के नारियल के संकरण से होता है. इसकी पैदावार बाकी दोनों के मुकाबले ज्यादा होती है.


क्या है नारियल की खेती का आसान तरीका?
जून से सितंबर के बीच का समय नारियल के पौधों को लगाने के लिए सबसे बेहतर समय माना जाता है. पौधे लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वो 12 महीने से ज्यादा पुराने न हों और उनमें 8 से ज्यादा पत्तियां न हों. नारियल के पौधों को आप 15-20 फीट की दूरी में रोप सकते हैं. इस बात का खास ख्याल रखें कि पौधे की जड़ में पानी न जम पाए.


बारिश के बाद नारियल की रोपाई के लिए बेहतर समय माना जाता है. पौधा लगाने से पहले गड्ढा करें और उसमें खाद डाल दें. खाद डालने के कुछ दिनों बाद उसमें नारियल का पौधा लगा दें. नारियल के पौधों के लिए ज्यादा पानी की नहीं बल्कि हल्कि नमी हो तो काम चल जाता है. ठंड के मौसम में 7 दिनों में 1 बार और गर्मी के दिनों में 2 बार पानी से सींचने की जरूरत होती है. अगर आप शुरू के 4 साल पौधे की देखभाल कर लेते हैं तो वो आपको उसके बाद सालों साल फल देकर कमाई का शानदार साधन बन सकता है.


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