मॉल वाले कैरी बैग के लिए अलग से पैसे ले सकते हैं या नहीं, जानिए क्या है नियम
Court orders malls, stores not to charge for carry bags in Hyderabad): आकाश कुमार की शिकायत पर आए इस फैसले के तहत डी मार्ट (D Mart), हैदरनगर (Hydernagar) के स्टोर को कैरी बैग के लिए 3.50 रुपये चार्ज करने पर 2003.50 पैसे भरने होंगे. यानी कहा जा सकता है कि कंपनी को लेने के देने पड़ गए.
हैदराबाद: ग्रोसरी (Grocery) लेनी हो या मॉल से कोई और सामान, आगे चलकर आपको किसी भी स्टोर पर कैरी बैग के लिए अलग से पैसे नहीं देने होंगे. दरअसल आज भी आपको अपने द्वारा खरीदे गए सामान को रखने के लिए कैरी बैग (Carry Bag) खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
देशभर में इसके लिए 3 रुपये से लेकर 15 रुपये तक का एक्स्ट्रा पेमेंट करना पड़ता है. ऐसे में अब आपको जिस फैसले के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसका हवाला देकर या कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court) के आदेश की कॉपी दिखाकर आप इस तरह अपनी जेब कटवाने से बच सकते हैं.
2019 के मामले में आया फैसला
दरअसल हैदराबाद के आकाश कुमार द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. अपनी याचिका में आकाश नाम के शिकायतकर्ता ने कहा था उसे मई 2019 में 602 रुपये का सामान खरीदने के बाद डी मार्ट, हैदरनगर (Hydernagar) के स्टोर पर कैरी बैग के लिए 3.50 रुपये का देने पड़े थे.
जिस पर फैसला सुनाते हुए हैदराबाद उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (CDRC) ने निर्देश दिया है कि कैरी बैग की आपूर्ति के लिए किसी तरह के भुगतान की जरूरत नहीं है.
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इस तर्क पर घिरी कंपनी
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि उस कैरी बैग में डी मार्ट का लोगो था, इसलिए खुदरा कंपनी द्वारा कैरी बैग के लिए शुल्क लेना उचित नहीं था. क्योंकि सामान उसी कंपनी का था और उस बैग को ले जाने पर कंपनी का ही प्रचार हो रहा था. आदेश देते समय, आयोग ने 2018 में प्लास्टिक प्रबंधन नियमों में किए गए संशोधन का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि प्लास्टिक कैरी बैग उपभोक्ताओं को मुफ्त में दिए जाने चाहिए.
साढ़े तीन रुपये वसूले थे अब देने पड़ेंगे 2003. 50 पैसे
न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने मामले का निपटारा करते हुए डी मार्ट को उपभोक्ता को 1,000 रुपये का मुआवजा देने और उससे वसूले गए 3.5 रुपये वापस करने के अलावा आयोग को भी 1,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. वहीं फैसले की तामील यानी आदेश का पालन करने के लिए डी मार्ट को 45 दिनों का समय देते हुए, 'आयोग ने कहा कि अगर खुदरा विक्रेता कंपनी ऐसा करने में विफल रहती है तो उसे 18 फीसदी ब्याज भी देना होगा.'
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