नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक न्यूरोसर्जन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर दी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि न्यूरोसर्जन की लापरवाही से ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित महिला की मौत हो गई. न्यायमूर्ति विभु बाखरु ने कहा कि डॉक्टर की ओर से कोई लापरवाही हुई है या नहीं, इसकी जांच करना, इसे सुनिश्चित करना मेडिकल पेशेवरों का काम है. जब तक यह साबित ना हो कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई त्रुटि थी या किसी की मंशा खराब थी तब तक अदालत की ओर से किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. अदालत ने कहा, कि मौजूदा याचिका विचारणीय नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है.’’


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अदालत ने नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम को नियंत्रित करने वाली याचिका की खारिज


अदालत एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसकी पत्नी के ब्रेन ट्यूमर का इलाज न्यूरोसर्जन डॉ. एस के सोगानी कर रहे थे. महिला की तीसरे ऑपरेशन के बाद मई 2011 में मौत हो गई थी. ऐसा आरोप है कि डॉक्टर ने सात मई 2011 में ऑपरेशन बिना एमआरआई स्कैन के किया और यह लापरवाही थी.


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याचिकाकर्ता ने शुरुआत में दिल्ली चिकित्सा परिषद (डीएमसी) में शिकायत की जिसने आदेश दिया कि महिला का इलाज करने में डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि महिला की मौत ‘‘ऐसी सर्जरी के साथ जुड़ी जटिलताओं के कारण’’ हुई जिनकी पहले से ही जानकारी थी. उसने भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) में इसे चुनौती दी. एमसीआई ने भी कहा कि चिकित्सा लापरवाही का कोई मामला नहीं बनता. इसके बाद व्यक्ति ने एमसीआई के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.