सिर पर कुल्हाड़ी से आतंकी कर रहा था वार, मासूमों का चेहरा देख ASI नहीं चला सके गोली
जानिए कुलगाम डिस्ट्रिक कलेक्टर आफिस में आतंकी हमले में आतंकी से मोर्चा लेने वाले सीआरपीएफ के ASI अशोक की पूरी कहानी घटना स्थल पर मौजूद जवानों की जुबानी ...
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के कुलगाम डीसी आफिस में आतंकी हमले का शिकार हुए सीआरपीएफ के ASI अशोक अभी भी आर्मी बेस अस्पताल में मौत से जंग लड़ रहे हैं. सीआरपीएफ सूत्रों के अनुसार गुरुवार रात आर्मी के बेस हास्पीटल में ASI अशोक के सिर का ऑपरेशन किया गया है. फिलहाल वह ICU में हैं. गुरुवार दोपहर कुलगाव के डीसी आफिस में हुए आतंकी हमले केे बारे में उनके साथियों ने बताया कि सुबह की ब्रीफिंग में साहब ने बताया था कि 'दुश्मन घात लगाए बैठा है. वह कभी भी, कहीं भी हमें निगलने की कोशिश कर सकता है, हमें चौकन्ना रहना होगा.'
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हर शख्स पर टिकी थी हमारी निगाह ..
ब्रीफिंग खत्म होते ही ASI अशोक अपनी टीम के साथ अपनी पोस्ट के लिए निकल गए थे. गुरुवार को उनकी तैनाती कुलगाम के डिस्ट्रिक कलेक्टर के दफ्तर की सुरक्षा में लगाई गई थी. अपनी पोस्ट में पहुंचने के बाद वह लगातार अपने साथियों से सुबह ब्रीफिंग में कही गई बातों को दोहरा रहे थे. उनकी निगाह लगातार गेट से घुसने वाले हर शख्स पर टिकी हुई थी. हमें बताया गया था कि आतंकी लबादे में हथियार छिपाकर उनकी तरफ आ सकते हैं. डिस्ट्रिक कलेक्टर आफिस में दोपहर तक कोई भी ऐसी चीज सामने नहीं आई थी, जो हमारे मन में किसी तरह की शंका पैदा कर सके.
मासूमों का चेहरा देख नहीं चला सका गोली ..
दोपहर करीब 12:15 बजे एक चींख सुनने के बाद हमारा ध्यान ASI अशोक कुमार की तरफ गया. हमने देखा एक शख्स कुल्हाड़ी से उनके सिर पर लगातार वार कर रहा था. हम सब ASI अशोक को बचाने के लिए उनकी तरफ दौड़े. हम ASI अशोक तक पहुंच पाते, इससे पहले वहां बहुत कुछ घट चुका था. हमने देखा ASI अशोक कुमार के हाथों की उंगलियां उनकी AK-47 राइफल के ट्रिगर पर थी और आखें डीसी आफिस में मौजूद सहमें लोगों पर टिकी हुई थी. खुद की जिंगदी खतरे में होते हुए भी उनके दिमाग में यही चल रहा था कि 'गोली चलाई तो डीसी आफिस में मौजूद किसी मासूम की जान पर बन सकती है' चंद सेकेंड में उन्होंने फैसला किया कि वह किसी भी सूरत में मासूमों की जिंदगी को खतरे में नहीं डालेंगे.
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वह हर कीमत में AK-47 छीनना चाहता था ..
इसी बीच, हमला कर रहे आतंकी ने अपनी पकड़ ASI अशोक की राइफल की मजबूत करने की कोशिश की. तब तक ASI अशोक अंदाजा लगा चुके थे कि आतंकी ने उनकी राइफल छीनने के इरादे से उन पर हमला किया है. इस आतंकी को राइफल मिली तो वह डीसी दफ्तर में लाशों के ठेर लगा देगा. ASI अशोक ने बाए हाथ से राइफल को अपनी तरफ समेटा और दाएं हाथ से आतंकी को दबोचने की कोशिश शुरू कर दी. अब तक ASI अशोक के सिर से भले ही काफी खून बह चुका था, लेकिन वे लगातार आतंकी पर अपनी पकड़ मजबूत करते जा रहे थे. वहीं, आतंकी हर कीमत में राइफल को छीनने की कोशिश में लगा हुआ था. इसी दौरान आतंकी की निगाह हम पर पड़ी. उसे समझ में आ चुका था कि एक भी पल वहां रुका तो खुद को हमारी पकड़ से बचा नहीं सकेगा. उसने ASI अशोक को तेज धक्का दिया और मौके से फरार हो गया.
हिमाचल के रहने वाले हैं ASI अशोक
सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 46 वर्षीय अशोक कुमार मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के रहने वाले हैं. वह बीते ढाई साल से घाटी में तैनात हैं. ASI अशोक पहले भी अपनी सर्विस के दौरान निर्भीकता और बहादुरी की मिशाल कायम कर चुके हैं. ASI अशोक के साथ काम कर चुका हर सीआरपीएफ कर्मी इस समय उनके सलामती के लिए फिर्कमंद नजर आ रहा है.