नई दिल्ली: दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने मंगलवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया कि नगर निगमों को कचरा प्रबंधन के लिए 313 एकड़ जमीन दी गई है. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ को डीडीए ने बताया कि अब नगर निगमों को यह बताना चाहिए कि दी गई जमीनों का कैसे और किस मकसद से उपयोग किया गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

डीडीए की तरफ से पेश होने वाले वकील कुश शर्मा ने एनजीटी को बताया कि ज्यादातर लैंडफिल स्थानों पर बिना किसी पर्यावरण मंजूरी के काम किया जा रहा है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर रहा है.


गौरतलब है कि कुछ समय पहले दिल्ली सरकार की ओर से नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) में जो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्शन प्लान पेश हुआ था, उसमें दावा किया गया था कि प्लान लागू किए जाने पर अगले तीन सालों में ठोस कचरे से जुड़ी लगभग सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी.


दिल्ली को कचरा घर बनने से बचाए सरकार और निकाय


सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लान बनाने की जिम्मेदारी निगम की होती है, जो मंजूरी के लिए इसे सरकार के पास भिजवाता है. दिल्ली सरकार ने एनजीटी में अपना पहला ऐक्शन प्लान जनवरी में और दूसरा अगस्त में दायर किया है. इन प्लान में लैंडफिल साइट्स की क्षमता और संख्या बढ़ाने की जानकारी दी गई.


(इनपुटे एजेंसी से भी)