नई दिल्ली: 4 दिन पहले दिल्ली में दर्दनाक हादसे ने पूरी दिल्ली को दहलाकर रख दिया. एक ही परिवार के 11 लोग अपने ही घर में फंदे से लटकते मिले. दिल्ली के बुराड़ी इलाके में हुई इस घटना ने सबको चौंका दिया है. लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं. आध्यात्म से लेकर हत्या तक के एंगल की जांच हो चुकी है. लेकिन, गुत्थी सुलझ रही है या और उलझती जा रही है, यह पुलिस के लिए भी एक पहेली ही है. बहरहाल, पुलिस को एक और नया एंगल मिला है. भाटिया परिवार के सबसे छोटा बेटे का अलग ही रसूक था. उसका परिवार उसकी कोई बात नहीं टालता था. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, वह रेकी और वैकल्पिक उपचार का इस्तेमाल करता था. चोट के कारण अपनी आवाज खोने के बाद आध्यात्मिक और रहस्यमय साहित्य पढ़ना शुरू कर दिया था. यही वजह थी कि कुछ खास दिनों में पूरा परिवार एक साथ सोता था. लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्यों?


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एक कमरे में एक साथ सोता था परिवार
कुछ अनुष्ठानों के अनुसार, परिवार का हर सदस्य एक खास दिन पर एक ही कमरे में सोता था. घर से मिले कुछ आध्यात्मिक नोट्स में यह बात सामने आई है. एक खास दिन पर पूरा परिवार भवनेश के कमरे में सोता था. वहीं, दूसरे दिन एक खास दिशा वाले दूसरे कमरे में सोता था. पीड़ित नारायणी देवी की बेटी सुजाता नागपाल ने कहा कि आत्महत्या करने का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं मिला है. जब सबकुछ ठीक था तो कोई क्यों मौत को गले लगाएगा? सुजाता नागपाल ने सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. 


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ये था परिवार का पूरा रूटीन
आसपास के लोगों और रिश्तेदारों ने बताया कि पूरा परिवार रोज का एक ही रूटीन था. जनरल स्टोर सुबह 5:30 बजे खुलता था, जब दूध सप्लाई की गाड़ी आती थी. इसके बाद दोनों भाई ललित और भावेश, अपनी पत्नियों के साथ मंदिर जाते थे. उनका बच्चे रोजाना सुबह 7:30 बजे की स्कूल बस पकड़ते थे. प्लाईवुड की दूसरी दुकान सुबह 9 बजे खुलती थी. प्रियंका भी इसी वक्त अपने ऑफिस के लिए निकलती थी. इसके बाद पूरा परिवार आधे घंटे के लिए पूजा करता था. इसके बाद प्रतिभा बच्चों के बैच को ट्यूशन पढ़ाती थीं. शाम को प्रतिभा के पास ट्यूशन के लिए बच्चों का दूसरा बैच आता था. 



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रोजाना विचार लिखती थी प्रियंका
नारायणी देवी की भतीजी प्रियंका का भी तय रूटीन था. वह रोजाना सुबह 9 बजे के आसपास अपने ऑफिस के लिए निकलती थी. नोएडा के सेक्टर 127 में उसका ऑफिस था. ऑफिस के लिए निकलने से पहले प्रियंका रोजाना छत की दीवार पर एक सकारात्मक विचार लिखती थी. पड़ोसियों के मुातबिक, नारायणी देवी अपने कमरे में ही रहती थीं क्योंकि, वह सीढ़ियां नहीं चढ़ सकती थीं. पूरे परिवार का एक ही किचन था, जहां टीना और सविता पूरे परिवार का खाना तैयार करती थीं. 



पूजा से ही खत्म होता था दिन
भवनेश की बेटी नीतू ने ग्रैजुएशन पूरी करने के बाद से प्लाईवुड की शॉप पर बैठना शुरू किया था. उसकी बहन मेनका उर्फ मोनू ने एमएसई पूरी की थी और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी. शाम को फिर पूरा परिवार एक साथ बैठकर पूजा करता था. ऐसा ही उनका दिन खत्म होता था. पड़ोसियों के मुताबिक, परिवार वैकल्पिक उपचार पर अधिक निर्भर था. घटना से एक हफ्ते पहले, ललित बीमार पड़ गया था. राम बिलास के मुताबिक, भवनेश भी पिछले तीन दिनों से बीमार था.