नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राजेश लिलोठिया भी शुक्रवार को रविदास मंदिर के मसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गए. दिल्ली के तुगलकाबाद में बना मंदिर हटाने के लिए डीडीए पर अवमानना की कार्रवाई की मांग की. उन्होंने मंदिर फिर से बनाए जाने और वहां पूजा के अधिकार की मांग की. इससे पहले हरियाणा कांग्रेस नेता अशोक तंवर ने भी याचिका दायर की थी. दोनों पर सोमवार को सुनवाई होगी.


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कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर ने याचिका दाखिल कर कहा था कि इस मंदिर पर तमाम नए नियम कानून लागू नहीं होता क्योंकि यह मंदिर 600 साल पुराना है और इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. याचिका में डीडीए को इस मामले में पार्टी बनाते हुए याचिकाकर्ता ने मंदिर निर्माण की और और पूजा करने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी है.


आर्टिकल 21A का भी हवाला
याचिका में पूजा के अधिकार और आर्टिकल 21ए का भी हवाला दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी मंदिर तोड़ने का आदेश नहीं दिया बल्कि उसे शिफ्ट करने की बात कही थी और जिस तरह से मंदिर को तोड़ा गया वह बड़ी साजिश का हिस्सा है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट अपने फैसले में पुनर्विचार करें और मंदिर के निर्माण का आदेश पारित करें.याचिका में कई पौराणिक तथ्यों का हवाला दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 10 अगस्त को मंदिर गिराया था.


23 अगस्त को दिल्ली में हुआ था प्रदर्शन
रविदास मंदिर तोड़े जाने पर 23 अगस्त को हुए प्रदर्शन में भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर सहित 96 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. जिन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. चंद्रशेखर और अन्य पर आईपीसी की धारा 147, 149, 186 और 332 के तहत गोविंदपुरी थाने में केस दर्ज किया गया है.



क्या है पूरा मामला
दरअसल, तुगलकाबाद इलाके के संत रविदास के मंदिर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गिराने का आदेश दिया था. इसके बाद 10 अगस्त को डीडीए ने इसे गिरा दिया. मान्यता है कि 15वीं शताब्दी के महान संत रविदास यहां तीन दिनों तक ठहरे थे. मंदिर गिराने के विरोध में दलित समाज ने 23 अगस्त को आंबेडकर भवन से एक रैली निकाली जो रामलीला मैदान होते हुए तुगलकाबाद के लिए रवाना हुई. पुलिस के मुताबिक रैली में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की जगह हिंसक झड़प होने लगी. ऐसे में पुलिस ने आंसू गैस और हवाई फायरिंग की.