गुरमीत राम रहीम पर फैसला सुनाने वाले जज जगदीप सिंह के बारे में जानें खास बातें!
डेरा प्रमुख राम रहीम की जिंदगी का फैसला सुनाने वाले जज जगदीप सिंह एडीजी स्तर के न्यायिक अधिकारी हैं. जगदीप सिंह 2012 में न्यायिक सेवा में आए थे. इससे पहले वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में क्रिमनल मामलों के वकील के रूप में सक्रिय थे.
नई दिल्ली: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर साध्वी से रेप के मामले में शुक्रवार को सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. राम रहीम को रेप केस में दोषी करार दिया गया है. 28 अगस्त को राम रहीम को इस मामले में सजा सुनाई जाएगी. राम रहीम को रेप केस में सीबीआई कोर्ट के जज जगदीप सिंह ने दोषी ठहराया.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक राम रहीम के इस हाई प्रोफाइल मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायिक सेवा अधिकारी (जज) जगदीप सिंह हैं. सिंह हरियाणा के जींद के रहने वाले हैं. वह काफी सख्त मिजाज के जज माने जाते हैं. इसीलिए किसी दबाव में आए बिना उन्होंने सजा सुनाई और उन्होंने यौन शोषण मामले में राम रहीम को दोषी माना.
और पढ़ें: बाबा राम रहीम के खिलाफ खबरें छापने पर कथित तौर पर हो गई थी इस पत्रकार की हत्या!
डेरा प्रमुख राम रहीम पर फैसला सुनाने वाले जज जगदीप सिंह 2012 में न्यायिक सेवा में आए थे. इससे पहले वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में क्रिमनल मामलों के वकील के रूप में सक्रिय थे. उन्होंने 2000 से लेकर 2012 तक अपराधिक मामलों के मुकदमे लड़े थे. 2012 में हरियाणा की न्यायिक सेवा में शामिल हुए जगदीप सिंह को पिछले साल ही सीबीआई स्पेशल जज के लिए चुना गया था, जो कि एक न्यायिक ऑफिसर के रूप में दूसरी पोस्ट है. उन्हें सोनीपत में तैनात किया गया.
आमतौर पर उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा कई जांच के बाद सीबीआई कोर्ट में पोस्टिंग दी जाती है. पंजाब यूनिवर्सिटी से उन्होंने कानून की डिग्री ली है. वे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के वकील थे. हरियाणा के रहने वाले सिंह ने 2000 और 2012 के बीच कई नागरिक और आपराधिक मामले उठाए थे. सिंह के साथ प्रैक्टिस कर चुके एक वकील के अनुसार, 'वे हमेशा लो प्रोफाइल को पसंद करते हैं और लोगों को उनकी क्षमता और अखंडता पर पूरा यकीन है'. 2000 में पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ले चुके एक न्यायिक अधिकारी ने कहा कि उन्हें बहुत मेहनती और ईमानदार अधिकारी माना जाता है.
जगदीप सबसे पहले सितंबर 2016 में उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब वे हिसार से पंचकुला जा रहे थे. उस दौरान उन्होंने सड़क दुर्घटना में चार लड़कों की मदद की थी. सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हुए लोगों को देखकर सिंह ने एंबुलेंस को फोन किया. काफी देर बाद जब एंबुलेंस घटना स्थल पर नहीं पहुंची तो ऑपरेटर ने उन्हें बताया कि क्या 'एंबुलेंस उड़कर आएगी'? तब उन्होंने किसी निजी वाहन को रुकवाकर घायल लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया था.
गौरतलब है कि 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान एक गुमनाम पत्र लिखकर डेरा प्रमुख राम रहीम पर एक साध्वी ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. ये पत्र प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और हाईकोर्ट को भेजा गया था. हाईकोर्ट ने इसे संज्ञान में लेकर कार्यवाही शुरू की और उसके बाद सीबीआई जांच शुरू हुई जिसकी परिणति आज फैसले के रूप में हो रही है.