नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन के लिए इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लिमिटेड की पानीपत रिफाइनरी पर 17.31 करोड़ रुपये का अंतरिम जुर्माना लगाया है.


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एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि पानीपत रिफाइनरी पर्यावरण की बेहतरी के लिए अंतरिम मुआवजे के तौर पर एक महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) में राशि जमा कराए.



पीठ ने कहा, ‘हमने पाया कि इस बात के पर्याप्त सबूत है कि आईओसीएल ने पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन किया. इस अधिकरण के निर्देश के तहत सीपीसीबी, एचएसपीसीबी (हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के विश्वसनीय विशेषज्ञों ने निरीक्षण किया. ईकाई का खुद का जवाब यह दिखाता है कि निरीक्षण रिपोर्ट में कही गई बातों में कार्रवाई की जरुरत है जिसके आधार पर एक कार्य योजना सौंपी गई.’


उसने कहा, ‘हम यह दलील मानने में असमर्थ हैं कि किसी मुआवजे की जरुरत नहीं है या कोई कार्रवाई ना की जाए. अगर दूसरे लोग भी प्रदूषण कर रहे हैं तब भी प्रतिवादी संख्या 1 (पानीपत रिफाइनरी) जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. समिति ने अंतरिम मुआवजा 17.31 करोड रुपये आंका है. अंतिम मूल्यांकन किया जाना है.’


सीपीसीबी, एचएसपीसीबी के प्रतिनिधियों और उपायुक्त, पानीपत की समिति द्वारा दायर की गई रिपोर्ट पर विचार करने के बाद यह आदेश आया है. रिपोर्ट में व्यापक प्रदूषण की बात कही गई.


हालांकि, रिफाइनरी ने रिपोर्ट का विरोध किया और कहा कि यह बेबुनियाद है क्योंकि इलाके में अन्य उद्योगों के असर पर विचार नहीं किया गया और उसे समिति से नोटिस नहीं मिला. 


पानीपत के सिंहपुर सिठाना ग्राम पंचायत के सरपंच सतपाल सिंह से मिले पत्र पर इस मामले में कार्रवाई शुरू की गई. इसमें आरोप लगाया कि आईओसीएल की पानीपत रिफाइनरी बोहली, ददलाना और सिठाना गांवों के आसपास वायु और जल प्रदूषण कर रही है.