नई दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव के हुमायूंपुर गांव में एक छोटे मकबरे को मंदिर में तब्दील किए जाने का मामला दिनों-दिन तूल पकड़ता जा रहा है. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जांच के आदेश जारी करने के बाद अधिकारियों के बयान सामने आ रहे हैं. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के  प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर अमित कुमार का कहना है, '1920-30 के काग़ज़ात के हिसाब से यह मकबरा है लेकिन मेरे लिए यह एक आकृति है, यह आकृति 500 साल पुरानी है इसलिए काफी खास है.'


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उन्होंने कहा, 'पिछले 7-8 महीने में हमारी टीम 5-6 बार लोकेशन पर गई थी लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह गुबंद उनकी निजी संपत्ति का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि लोगों के पास इस गुबंद को बनवाने और रिवेन्यु रिकॉर्ड्स भी उनके पास हैं.' इसलिए वो इसे संरक्षित करने और अन्य कार्रवाई करने में असमर्थ हैं.


 



 



 


स्थनीय लोगों ने बताया मंदिर
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए हुमायूंपुर गांव के लोगों ने दावा किया है कि यहां पर मंदिर ही थी. कुछ लोगों ने कहा कि जब से उन्हें याद है यहां पर मंदिर ही था. स्थानीय लोगों ने कहा कि यहां पर मंदिर ही था, जिसकी रंगाई और साज-सज्जा का काम कुछ दिनों पहले ही खत्म हुआ है.


मनीष सिसोदिया ने दिए जांच के आदेश
इस मामले में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग ( एसीएल ) की सचिव को शनिवार तक रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया. यह मामला खबरों में आने के बाद सिसोदिया का यह आदेश आया है. उप मुख्यमंत्री ने सचिव को दिए अपने आदेश में कहा कि धरोहर संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ है और एक गंभीर अपराध है. सचिव (एसीएल) घटना के ब्योरे और उनके द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. 


क्या है पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिणी दिल्ली के हुमायूंपुर गांव में 15वीं शताब्दी में बनी एक सांस्कृतिक धरोहर पर कुछ वक्त पहले ग्रामीणों द्वारा सालों से मंदिर होने का दावा किया गया. बताया जा रहा है कि मात्र दो महीने पहले यह एक छोटा गुंबद था, जिसे गुमटी के नाम से जाना जाता है. यह गुंबद तुगलक काल का है और दिल्ली सरकार की ओर से नोटिफाई ऐतिहासिक इमारत है. काफी वक्त से यह गुबंद जर्जर हालात में था, लेकिन दो महीने पहले कुछ ग्रामीणों ने इस गुंबद को सफेद और केसरिया रंग में रंगवा दिया, इसके बाद मूर्ति रखकर इसमें पूजा करने लगे. इसके बाद से ही इस बात को लेकर 


क्या कहते हैं पुरातत्व विभाग के दस्तावेज
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टेट अर्बन डिवेलपमेंट के 2010 के नोटिफिकेशन में गुमटी गुंबद को 767 ऐतिहासिक स्मारकों में शामिल किया गया है, पुरातत्व विभाग ने इस गुमची को 15वीं शताब्दी की ऐतिहासिक इमारत बताया है. दस्तावेजों के अनुसार यह गुंबद तुगलक या लोदी वंश के समय बनवाई गई थी.