सुनंदा पुष्कर प्रकरण: शशि थरूर के खिलाफ केस सेशन कोर्ट में, दोषी हुए तो होगी 10 साल जेल
इस अपराध के तहत अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुनंदा पुष्कर के पति थरूर पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 498-ए और 306 के तहत आरोप तय किये गए लेकिन मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले को आगे की कार्यवाही के लिये सत्र अदालत के पास भेज दिया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने इस मामले को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण भारद्वाज की अदालत के पास भेज दिया क्योंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने) के तहत अपराध के मुकदमे की सुनवाई सत्र न्यायाधीश द्वारा ही की जाती है.
अदालत ने दिल्ली पुलिस को यह भी निर्देश दिया कि वह मामले में सतर्कता रिपोर्ट को संरक्षित रखे. इस अपराध के तहत अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुनंदा पुष्कर के पति थरूर पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 498-ए और 306 के तहत आरोप तय किये गए लेकिन मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है.
पुष्कर 17 जनवरी 2014 को शहर में एक लग्जरी होटल के सुइट में मृत मिली थीं. थरूर का आधिकारिक बंगले की मरम्मत का काम चल रहा था जिसकी वजह से दंपति होटल में रह रहे थे.
'हत्यारोपी' की टिप्पणी पर माफी मांगे प्रसाद : थरूर
पिछले साल 31 अक्टूबर को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को कानूनी नोटिस भेजकर उन्हें 'हत्यारोपी' बताने के लिए बिना शर्त माफी मांगने को कहा है. थरूर की ओर से लॉ फर्म सूरज कृष्णा एंड एसोसिएट्स द्वारा भेजे गए कानूनी नोटिस में लिखा है-"आपको मालूम है कि शशि थरूर की दिवंगत पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के सिलसिले में उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे में अभियोजन पक्ष की ओर से उनके खिलाफ हत्या का अपराध करने का आरोप नहीं है और निचली अदालत ने उनके खिलाफ कोई आरोप दर्ज नहीं किया है."
नोटिस में कहा गया है कि शशि थरूर के खिलाफ पुलिस के आरोप पत्र में भी हत्या का कोई आरोप दर्ज नहीं किया गया है. नोटिस में लिखा है-"आपका यह बयान कि शशि थरूर हत्या के गंभीर आरोप में आरोपित हैं, से आपकी कुछ परोक्ष मंशा जाहिर होती है."
नोटिस में कहा गया है कि उपर्युक्त परिस्थितियों से जाहिर है कि आपने मानहानि का अपराध किया है, जिसके लिए आपके ऊपर अदालत में मुकदमा चलाया जा सकता है. नोटिस में प्रसाद के इस बयान वाली वीडियो क्लिप सोशल मीडिया से हटाने की मांग की गई.
नोटिस में आगे लिखा है- 'शशि थरूर पर ऐसा असत्य, मिथ्या व निराधार आरोप लगाने के लिए एतद द्वारा आपसे नोटिस मिलने के 48 घंटे के भीतर बिना शर्त व लिखित माफी मांगने को कहा जाता है.'