`मैडम सुल्ताना` को चाहिए रेड फोर्ट, खुद को बताया मुगल बादशाह का वारिस; कोर्ट ने दिया ये जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने लाल किले का कानूनी वारिस होने का दावा करने वाली महिला की अपील खारिज कर दी है. महिला ने दावा किया था कि वह आखिरी मुगल बादशाह की कानूनी वारिस है.
नई दिल्लीः मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) के पड़पौत्र की विधवा होने का दावा करने वाली एक महिला ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में याचिका दायर की. इस याचिका में महिला ने खुद को लाल किले (Red Fort) की कानूनी वारिस बताते देते हुए उसे इसका मालिकाना हक सौंपने का अनुरोध किया था. हालांकि, अदालत ने यह याचिका खारिज कर दी.
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दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
महिला ने अपनी याचिका में कहा कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवैध तरीके से लाल किले को अपने कब्जे में लिया था और उसे इसका मालिकाना हक सौंपा जाए. याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि 150 से अधिक वर्षों के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया गया और इसका कोई औचित्य नहीं है.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरन छीना अधिकार
याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम ने कहा कि वह बहादुर शाह जफर के पड़पौत्र मिर्जा मोहम्मद बेदार बख्त की पत्नी हैं, जिनका 22 मई 1980 को निधन हो गया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल शासक से मनमाने तरीके से जबरन उनके अधिकार छीन लिये थे.
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'मेरा इतिहास का ज्ञान बेहद कमजोर'
न्यायाधीश ने कहा, 'मेरा इतिहास का ज्ञान बेहद कमजोर है लेकिन आपने दावा किया कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा वर्ष 1857 में आपके साथ अन्याय किया गया. फिर इसमें 150 वर्षों की देरी क्यों हुई? इतने सालों तक आप क्या कर रही थीं?'
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