PM Modi News: तिहाड़ जेल से जमानत पर छूटकर आए आप सांसद इन दिनों लोकसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत करने के लिए जुट चुके हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने मानहानि के एक मामले में उन्हें झटका देने का काम किया है.
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PM Modi Degree Defamation Case: तिहाड़ जेल से करीब छह माह बाद बाहर आए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर कथित टिप्पणी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आप सांसद संजय सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है यानी सांसद को अब गुजरात की निचली अदालत में लंबित केस का सामना करना पड़ेगा. दरअसल, इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने संजय सिंह के खिलाफ जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट के इसी आदेश को आप सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
समन रद्द करने वाली याचिका हुई थी रद्द
याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा की अदालत वर्तमान याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं हैं. सुनवाई के दौरान पहले ही हाईकोर्ट में दलीलों को स्पष्ट रूप से रखा गया था और ट्रायल जज उसके आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित नहीं होंगे. इससे पहले 16 फरवरी को हाईकोर्ट ने संजय सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जारी समन को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. दोनों ही नेता ने गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर मामले में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी किए गए समन और इसके खिलाफ उनके पुनरीक्षण आवेदन को खारिज करने के सेशन कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
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विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की थी शिकायत
पिछले साल 31 मार्च को हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2016 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने गुजरात विश्वविद्यालय को केजरीवाल को मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था. हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को रद्द कर दिया था. इसके बाद गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने संजय सिंह की कथित टिप्पणियों पर उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था. पटेल ने कहा था कि दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी की डिग्री को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए अपमानजनक बयान दिए थे. उनके बयान व्यंग्यात्मक थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे.