Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो कि विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने पुत्रों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है. इस दिन माताएं व्रत रखती हैं और विशेष पूजा-अर्चना करती हैं.


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पूजा की विधि
इस दिन माताएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और फिर व्रत का संकल्प लेती हैं. वे अपने घरों में अहोई माता की तस्वीर स्थापित करती हैं और उन्हें पूजा करती हैं.इस पूजा में विशेष रूप से चावल, फल, और मिठाइयां अर्पित की जाती हैं. इसके साथ ही, माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं. 


अहोई माता की कथा
अहोई अष्टमी के पीछे एक लोकप्रिय कथा है, जिसमें एक मां अपने पुत्र की रक्षा के लिए कठिन तप करती है. इस कथा के अनुसार, अहोई माता ने अपने पुत्र को बचाने के लिए कठिनाइयों का सामना किया और अंततः वह सफल रहीं. यह कथा माताओं को प्रेरित करती है कि वे अपने बच्चों के लिए किसी भी कठिनाई का सामना कर सकती हैं.


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पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 23 अक्टूबर को रात में  1 बजकर 21 मिनट से प्रारम्भ हुआ, जो कि 24 अक्टूबर को रात 01:58 पर समाप्त हो जाएगा. वहीं दिन में अहोई अष्टमी की कथा सुनने और पूजन करने के लिए पंचांग समय दोपहर 12:05 से 13:29 बजे के बीच लाभ चौघड़िया मुहूर्त का समय श्रेष्ठ रहेगा. वहीं संध्या काल में अहोई माता के पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 5:39  से शाम के 7:15 तक रहेगा. इस समय शुभ प्रदोष कल भी रहेगा.


चांद व तारे देखने का समय
पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर को तारों को देखने को समय 06:06 बजे से है. पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय समट रात के 11:55 तक रहेगा. शहर अनुसार चंद्रोदय के समय में कुछ मिनटों का फर्क देखा जा सकता है.


डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य या सटीक है जी मीडिया इसकी पुष्टि नहीं करता है.