Amit Shah in Chandigarh: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ में मनीमाजरा जलापूर्ति परियोजना का उद्घाटन किया और कानूनों में बदलाव की घोषणा की. उन्होंने कहा कि पुराने कानून आज अप्रासंगिक हैं और नए BNS, BNSS और BSA कानून लागू होने से लोगों को दंड नहीं न्याय मिलेगा.
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Amit Shah: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रविवार, 04 अगस्त को चंडीगढ़ में थे. यहां उन्होंने मनीमाजरा जलापूर्ति परियोजना का उद्घाटन किया. इस दौरान उनके साथ राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी मौजूद थे. इस अवसर पर गृहमंत्री ने कानूनों में बदलाव को लेकर कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि 150 साल पहले बना कानून आज के समय में कैसे प्रासंगिक हो सकता है?
कानूनों के बदलाव पर क्या बोले गृहमंत्री
अमित शाह ने कहा, "मैं भी राज्य का गृहमंत्री रह चुका हूं. मुझे पता है कि लोगों का सिस्टम से धीरे-धीरे विश्वास उठता जा रहा था. लोगों को वर्षों तक न्याय नहीं मिलता था. तारीख पर तारीख दी जाती थी. इसलिए CRPC की जगह BNS, IPC की जगह BNSS और Indian Evidence Act की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू किया जाएगा."
गर्व से कह सकता हूं, हमारा कानून है
अमित शाह ने कहा कि किसी अन्य देश की संसद में पास हुआ कानून एक आजाद देश का कानून कैसे हो सकता है. आज मैं गर्व से कह सकता हूं, BNS, BNSS और BSA तीनों भारत के लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों ने बनाया है. इसे भारत की संसद में भारत के लोगों के लिए पास किया गया है. इन कानूनों में भारत की मिट्टी की सुगंध है. ये दंड संहिता नहीं, न्याय संहिता है.
दी गई है ट्रेनिंग
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस, कोर्ट, एफएसएल और जेल समेत सभी वर्टिकल्स के अंदर ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री ने चार ऐप्स के बारे में जानकारी साझा की. उन्होंने कहा, ई-साक्ष्य, ई-समन, न्याय सेतु और न्याय श्रुति नामक चार ऐप्स बनाए गए हैं. ई-साक्ष्य पर घटनास्थल की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी समेत गवाही इस सर्वर पर सेव की जाएगी. ई-समन के जरिए आने वाले दिनों में पुलिस स्टेशनों से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से समन भेजा जा सकेगा. गृहमंत्री ने बताया कि न्याय सेतु एक डैशबोर्ड है जो सारे ऐप्स के साथ इंटरलिंक्ड होगा.
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न्याय प्रक्रिया में नहीं है देरी की जगह
साथ-साथ गृहमंत्री ने न्याय श्रुति का जिक्र करते हुए कहा कि इससे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आरोपियों की पेशी की जाएगी. अमित शाह ने कहा, "मैं भी कोर्ट में गया हूं. न्यायधीश इसे अन्यथा न लें, लेकिन कोर्ट में जो पुकार लगाई जाती है, वह काफी अपमानजनक लगता है. 11 बजे जाने पर 5 बजे पता लगता है कि आपकी तारीख बढ़ गई, तो बहुत सारे लोगों को तकलीफ होती है." गृहमंत्री ने बताया कि आने वाले दिनों में शहरों में एक न्यूट्रल जगह बनाई जाएगी, जो गवाही देने के काम आएगी. उन्होंने कहा कि नए न्याय प्रक्रिया में न कागजों की जगह है और न ही देरी की.