नवीन शर्मा/भिवानी: हरियाणा प्रदेश में सरसों की खरीद के दावे राज्य सरकार भले ही करती हो, लेकिन अनाज मंडियों में सरसों की सरकारी खरीद ई-खरीद पोर्टल के खराब होने के चलते नहीं हो पा रही है. जो खरीद हो रही है, वो ई-नेम के माध्यम से प्राइवेट स्तर पर पर्चियां काटकर की जा रही हैं. ई-नेम से होने वाली खरीद में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल के गृह जिला भिवानी में भी ऐसा ही हाल है. यहां पर अभी तक सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपये पर हैफेड ने एक भी दाना नहीं खरीदा है, जो भी खरीद हुई है, वह प्राइवेट स्तर पर हुई है.


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भिवानी अनाज मंडी के डिप्टी सैकेटरी प्रदीप कुमार ने बताया कि भिवानी अनाज मंडी में सरसों की खरीद शुरू हो चुकी है, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते ई-खरीद पोर्टल से किसानों के गेट पास नहीं बन पा रहे हैं. क्योंकि पोर्टल में किसान का फोन नंबर तो सिस्टम उठा लेता है, लेकिन आधार कार्ड को इनवैलिड बोल देता है. इसके कारण किसानों की सरसों की फसल के गेट पास नहीं बन पा रहे हैं. इसके लिए ई-नेम के माध्यम से किसानों के गेट पास बनाए जा रहे हैं, लेकिन ई-नेम के माध्यम से बने गेट पास से किसान अपनी फसल को खुले बाजार में मंडी के माध्यम से बेच पा रहा है.


नहीं बिक रही MSP पर सरसों
उन्होंने बताया कि ई-नेम के माध्यम से खुले बाजार में लगभग 20 किसानों की 250 क्विंटल की फसल की खरीद हुई है. गौरतलब है कि ई-नेम के माध्यम से जो फसल बिकती है, इसमें किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता है. बल्कि फसल की गुणवत्ता के आधार पर खुले मार्केट में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर सरसों बिक रही है. खुले बाजार में भाव 4500 से लेकर 5200 ही मिल पा रहा है.


हैफेड ने लगा रखी है कंडीशन
भिवानी के पालुवास गांव के किसान रविंद्र ने बताया कि वे 20 क्विंटल सरसों मंडी में लेकर आए हैं, परन्तु कोई भी सरकारी खरीद नहीं हो रही है. इसके लिए मजबूरन उन्हे अपनी सरसों की फसल 5100 से 5200 के बीच खुले बाजार में बेचनी पड़ रही है. वहीं मंडी के आढ़ती रमेश ने बताया कि सरसों की खरीद को लेकर सरकार के बहुत दावे हैं, लेकिन हैफेड द्वारा अभी तक खरीद नहीं की जा रही. हैफेड ने कंडीशन लगा रखी है कि 8 प्रतिशत से कम नमी वाली सरसों ही खरीदेंगे तथा प्रति क्विंटल 38 केजी तेल निकलेगा, उसी सरसों को हैफेड खरीदेगी.


उन्होंने कहा कि इन दिनों किसान मार्केट में जो सरसों ला रहा है, उसकी नमी 20 प्रतिशत तक है तथा तेल की मात्रा भी कम है. इसलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 पर सरसों की फसल नहीं बिक पा रही है. उन्होंने बताया कि किसान समय पर बीज बोता है, जिससे फसल तैयार होती है. अब उसमें कितना तेल होगा, इस बात का निर्धारण किसान नहीं कर सकता.


वेबसाइट नहीं कर रही ठीक से काम
वहीं गेट पास की पर्चियां बनाने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर पवन ने बताया कि ई-खरीद पोर्टल की साइट ठीक से काम नहीं कर रही है. इसे ठीक करने का कार्य किया जा रहा है. आजकल में पोर्टल ठीक हो सकता है, उसके बाद ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हैफेड द्वारा खरीद के लिए टोकन जारी हो पाएंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि खुले मार्केट में सरसों बेचने के लिए ई-नेम के टोकन जारी किए जा रहे हैं. गौरतलब है कि सरकार के दावों के बावजूद भी फिलहाल भिवानी अनाज मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद नहीं पा रही है.