गुरुग्राम के बस अड्डे की हालत एक दम खस्ता हो रखी है. इस बस स्टैंड को PWD ने साल 2015 में कंडम घोषित कर दिया था. वहीं अभी तक इस जर्जर इमारत को गिराने की कवायद नहीं की गई है.
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योगेश कुमार/गुरुग्राम: दिल्ली से सटा साइबर सिटी गुरुग्राम जोकि हरियाणा प्रदेश को 60% से ज्यादा का रेवेन्यू देता है. उस गुरुग्राम का बस अड्डा बदहाल हालत में है. दरअसल गुरुग्राम के बस अड्डे को साल 2015 में PWD डिपार्टमेंट द्वारा कंडम घोषित कर दिया गया था. आज आठ साल बीत जाने के बाद भी इस खंडहर इमारत को जमीदोंज नहीं किया गया. इस जर्जर इमारत के नीचे बैठकर यात्री अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, लेकिन सरकार और विभाग को इसकी कोई खबर नहीं है.
बता दें कि बस अड्डे की दीवारों में दरारें आई हुई है तो छत के अलग अलग हिस्सों से प्लास्टर टूटा हुआ है. वहीं बस अड्डे पर आने वाले यात्री यहां बसों का इंतजार करते है. हालांकि बस अड्डे के कुछ हिस्से को लोहे की जालियों से कवर किया गया है, लेकिन इसका बाहरी हिस्से खुला छोड़ दिया गया है. टूटा हुआ प्लास्टर और दीवारों में आई दरार यह गवाही दे रही है कि अगर तेज गति से गुरुग्राम में भूकंप आया तो यह इमारत अपने आप जमींदोज हो सकती हैं, लेकिन उसमें कई लोगों की जान भी जा सकती हैं. शायद इस बात की न तो सरकार को चिंता है और न ही विभाग को तभी इस तरह की अनदेखी की जा रही है.
यहां से गुजरने वाले यात्रियों की माने तो गुरुग्राम बस अड्डे के हालात बद से बदतर हैं न तो यहां पीने के पानी की व्यवस्था है न ही बैठने की पर्याप्त जगह है. एक टेंपरेरी टिन शेड का वेटिंग एरिया विभाग की ओर से जरूर बनाया गया है, लेकिन तेज धूप होने के कारण वहां गर्मी बहुत ज्यादा हो जाती हैं. इस वजह से इस जर्जर इमारत के नीचे बैठना पड़ता है, जो कि सुरक्षित नहीं है.
पिछले काफी समय से इस इमारत को कंडोम तो घोषित कर दिया गया, लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी इस इमारत को न तो जमीदोज किया गया और न ही इस एरिया को जालियों से कवर किया गया. बस का इंतजार करने के लिए इस इमारत के नीचे बैठना यात्रियों की मजबूरी है, क्योंकि सरकार या विभाग ने पिछले कई सालों से इस बस अड्डे की सुध तक नहीं ली. अब देखना होगा कि आखिर सरकार और विभाग इस खंडहर इमारत की कब सुध लेता है और कब हाईटेक गुरुग्राम को एक आधुनिक बस अड्डा मिलता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा.