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Chandigarh News: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर टोंस नदी पर किशाऊ डैम बनाया जाना है. इस डैम के बनने के बाद हरियाणा की बिजली, सिंचाई और पेयजल की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. हरियाणा के साथ-साथ कई अन्य राज्यों को भी इसका लाभ मिलेगा. इस बांध के बनने के बाद सालाना 1379 मिलियन यूनिट बिजली के उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है.
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इस परियोजना पर करीब 12000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें से 90% धनराशि केंद्र सरकार की ओर से खर्च की जाएगी और 10% धनराशि बाकी राज्य जैसे हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि राज्य वहन करेंगे. इस परियोजना को फरवरी 2008 में एक राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था.
जून 2015 में हिमाचल और उत्तराखंड सरकार के बीच अनुबंध हुआ था. दोनों राज्य के कुल 17 गांवों की करीब साढ़े पांच हजार ग्रामीण आबादी भी प्रभावित होगी. 660 मेगावाट क्षमता की किसाऊ बांध परियोजना के प्रस्तावित बैराज स्थल मैलोथ के संभर-मोहराड़ खेड़ा से अटाल के बीच करीब 32 किमी लंबी झील बनेगी. इसके लिए 2950 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है.
सीएमओ के मुताबिक किशाऊ बांध परियोजना एशिया की दूसरी सबसे बड़ी बांध परियोजना होगी जिसकी ऊंचाई 236 मीटर और लंबाई 680 मीटर होगी. किशाऊ परियोजना उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में टोंस नदी पर प्रस्तावित है.
किशाऊ बांध परियोजना
यह बांध एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध होगा. हिमाचल और उत्तराखंड की बराबर की हिस्सेदारी होगी. इस बांध से 660 मेगावाट बिजली तैयार होगी. साथ ही हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी. इस परियोजना से सबसे ज्यादा दिल्ली को लाभ मिलेगा, जहां पानी की आपूर्ति को पूरा किया जाएगा.
राज्यों की हिस्सेदारी
हरियाणा 478.85 करोड़
उत्तर प्रदेश 298.76 करोड़
राजस्थान 93.51करोड़
दिल्ली 60.50 करोड़
उत्तराखंड 38.19 करोड़
हिमाचल 31.58 करोड़
Input: Vijay Rana