Chandrayan 3 Landing: महज दीवानगी नहीं अब पाने की है तैयारी, चांद सी महबूबा नहीं अब चांद पर जाने की है बारी
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Chandrayan 3 Landing: महज दीवानगी नहीं अब पाने की है तैयारी, चांद सी महबूबा नहीं अब चांद पर जाने की है बारी

Chandrayan 3 Landing: साहित्यिक दुनिया में चांद को अलग-अलग उम्र के पड़ाव में अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जाता है. देश के कई प्रसिद्ध शायरों ने चांद को लेकर अपने नज्म लिखे और बोले. ऐसे में आज हम चांद के उन्हीं नज्मों, शायरियों से आपको रूबरू कराने वाले हैं. 

Chandrayan 3 Landing: महज दीवानगी नहीं अब पाने की है तैयारी, चांद सी महबूबा नहीं अब चांद पर जाने की है बारी

Chandrayan 3 Launching: आज यानी बुधवार 23 अगस्त को 14 जुलाई 2023 को छोड़ा गया Chandrayan-3 चांद पर लैंड करने वाला है. ये भारत के लिए बड़ा ही ऐतिहासिक पल होने वाला है. क्योंकि आज लैंडिंग के बाद भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की हो, लेकिन आज हम चांद की वैज्ञानिक नहीं बल्कि साहित्यिक प्रेम की बात करेंगे. 

चांद पर कही शायरियां
एक बड़ी ही चर्चित शायरी है, "ये चांद भी अजीब सितम ढाहता है, बचपन में मामा और जवानी में सनम नजर आता है." साहित्यिक दुनिया में चांद को अलग-अलग उम्र के पड़ाव में अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जाता है. देश के कई प्रसिद्ध शायरों ने चांद को लेकर अपने नज्म लिखे और बोले. ऐसे में आज हम चांद के उन्हीं नज्मों, शायरियों से आपको रूबरू कराने वाले हैं. 

गुलजार
मशहूर गीतकार गुलजार ने चांद के बारे में लिखा कि "शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं, चांद ने कितनी देर लगा दी आने में.

फरहत एहसास
शायर फरहत एहसास ने लिखा कि चांद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है, अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है.
एक और शायरी में उन्होंने लिखा कि, वो चांद कह के गया था कि आज निकलेगा, तो इंतजार में बैठा हुआ हूं शाम से मैं. 

इब्न इंशा
उर्दू के मशहूर शायर इब्न इंशा ने चांद के बारे में लिखा कि कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा, कुछ ने कहा ये चांद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा.

बशीर बद्र 
बशीर बद्र अपनी शायरी में लिखते हैं, कभी तो आसमां से चांद उतरे जाम हो जाए, तुम्हारे नाम की इक खूब-सूरत शाम हो जाए

निदा फाजली
उर्दू के और मशहूर शायर निदा फाजली लिखते हैं, दूर के चांद को ढूंडो न किसी आंचल में, ये उजाला नहीं आंगन में समाने वाला.

अनवर मिर्जापुरी
1960-70 के दशक के मशहूर शायर अनवर मिर्जापुरी ने लिखा, ऐ काश हमारी किस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए, इक चांद फलक पर निकला हो इक चांद सर-ए-बाम आ जाए.

अहमद मुस्ताक
अहमद मुस्ताक ने चांद के बारे में लिखा कि, कई चांद थे सर-ए-आसमां कि चमक चमक के पलट गए, न लहू मेरे ही जिगर में था न तुम्हारी जुल्फ सियाह थी. 

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