गोल्ड लाने के लिए खरीदी थी 2.5 लाख की भैंस, मैरीकॉम को पटखनी देकर नीतू पहुंची बर्मिंघम
हरियाणा के भिवानी जिले की बेटी नीतू घणघस ने 48 किलोग्राम भार वर्ग में इंग्लैंड की खिलाड़ी डैनी जेड स्टोन 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल जीता. इस मैच को उनके परिजनों और ग्रामीणों ने एक साथ मिलकर देखा और उनकी जीत के बाद गांव में मिठाई बांटकर जश्न मनाया.
भिवानी: हरियाणा के भिवानी जिला के गांव धनाना की बेटी नीतू घणघस ने मुक्केबाजी के 48 किलोग्राम भार वर्ग में कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीता है. इस जीत से उन्होंने देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाने के साथ ही महिला सशक्तिकरण को नया आयाम दिया है. नीतू घणघस ने रविवार को हुई प्रतियोगिता में इंग्लैंड की खिलाड़ी डैनी जेड स्टोन 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया. फाइनल मुकाबले को नीतू के परिजनों एवं ग्रामीणों ने एकत्रित होकर देखा तथा नीतू घणघस की जीत पर तालियां बजाकर खुशी मनाई. साथ ही भविष्य में होने वाली एशियन और ओलंपिक खेलों के लिए नीतू घणघस को आगे बढने की कामना की. नीतू की जीत के बाद भिवानी बॉक्सिंग क्लब में भी खिलाडियों एवं खेल प्रेमियों ने लड्डू बांटकर नीतू की जीत की खुशी मनाई.
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मिनी क्यूबा के नाम से जाने जाना वाला भिवानी शहर से संबंद्ध रखने वाली नीतू घणघस ने कॉमनवेल्थ के लिए हो रही ट्रायल में ही भारत की जानी मानी बॉक्सर मैरीकौम को हराकर कॉमनवेल्थ का टिकट पाया था. उसी समय यह जाहिर हो गया था कि 21 वर्षीय प्रतिभाशाली नीतू घणघस जरूर कॉमनवेल्थ से मेडल लेकर लौटेंगी. नीतू घणघस के करियर की बात करें तो उनके पिता जयभगवान की प्रेरणा से वर्ष 2012 से नीतू ने मुक्केबाजी की शुरुआत की.
19 अक्तूबर 2000 को जन्मी नीतू के पिता चंडीगढ़ विधानसभा में सरकारी नौकरी करते हैं. नीतू हरियाणा के भिवानी जिला के गांव धनाना में रहकर मुक्केबाजी करती रही हैं. भिवानी के मुक्केबाज बिजेंद्र ने जब 2008 में देश के लिए ओलंपिक मेडल लिया था, उसके बाद से ही नीतू घणघस के पिता व नीतू के दिमाग में मुक्केबाजी के खेल की तरफ रुझान बनाया था. इसकी शुरूआत वर्ष 2012 में की गई. नीतू घणघस को अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज मैरिकाम के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाता है. नीतू ने 2017 में आईबा यूथ वूमेन बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता. वर्ष 2018 में एशियन यूथ बॉक्सिंग में भी गोल्ड मेडल प्राप्त किया. वर्ष 2022 में बुल्गारिया में हुई 73वें सरांडजा बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल प्राप्त किया. हालांकि, इन उपलब्धियों के दौरान वर्ष 2016 व 2019 में नीतू घणघस को शोल्डर इंजरी का सामना भी करना पड़ा. वर्ष 2016 में पेल्विक इंजरी से रिक्वर होने के बाद नीतू घणघस ने आईबा यूथ बॉक्सिंग में मेडल लिया, लेकिन 2019 में हुई शोल्डर इंजरी ने उसे लगभग दो साल तक मुक्केबाजी से दूर रखा. नीतू ने कॉमनवेल्थ खेलों में जाने से पहले कहा था कि उसे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा है कि कॉमनवेल्थ में गोल्ड आएगा और आज यह बात नीतू ने सही साबित कर दिखाई.
नीतू के पिता जयभगवान घणघस ने बताया कि नीतू एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी है. इसने बचपन से ही मुक्केबाज बनने का सपना संजोया था. आज कॉमनवेल्थ जैसी प्रतियोगिता में मेडल लाकर इसने भारत और हरियाणा का नाम रोशन किया है. उन्होंने बताया कि कॉमनवेल्थ खेलों से लौटने के बाद नीतू एशियन गेम और फिर ओलंपिक की तैयारी में जुटेगी. नीतू घणघस को भारत में मैरीकॉम के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाता है, जो कम भार वर्ग में देश के लिए मेडल लाने की प्रतिभा अपने में संजोए है.
वहीं नीतू की माता मुकेश ने बताया कि उन्होंने नीतू घणघस के खेल को लेकर काफी मेहनत करनी पड़ी. हरियाणा को दूध-दही के खाने वाला प्रदेश माना जाता है. इसीलिए नीतू की खुराक में घी, दूध, दही का विशेष प्रबंध किया जाता रहा है. इसके लिए ऋण लेकर 2.5 लाख रूपये में उच्च किस्म की भैंस भी खरीदी गई थी, ताकि नीतू को उचित पोषण मिल सकें. उन्होंने यह भी कहा कि आमतौर पर मुक्केबाजी को लड़कों का खेल माना जाता है, परन्तु उन्होंने इस लिंगभेद से ऊपर उठकर नीतू को लड़के की तर्ज पर मुक्केबाजी खेल में डाला तथा उन्हें सफलता मिली.
उन्होंने देश की हर बेटी की माता-पिता से यह भी अपील की कि अपनी बेटियों को पीछे ना रहने दे तथा वे जो भी खेलना चाहे या पढऩा चाहे, उन्हे नि:संकोच आगे बढ़ाएं। क्योंकि बेटियां किन्ही भी मायनों में बेटों से कम नहीं हैं। वही नीतू के कोच द्रोणाचार्य अवॉर्डी जगदीश सिंह ने कहा कि नीतू घणघस महान बॉक्सर मैरीकॉम को रिपलेस कर रही है, जैसे मैरीकॉम ने अपना करियर बनाया था, उसी प्रकार नीतू भी अपना करियर बना रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि नीतू घणघस ओलंपिक में भी देश के लिए गोल्ड मेडल लाएगी. वही भिवानी बॉक्सिंग क्लब की मुक्केबाज रजनी ने बताया कि उन्हें बहुत खुशी है कि भिवानी की मुक्केबाज ने कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता है. इससे अब उन्हें ओर भी प्रोत्साहन मिला है.