AIIMS: हाल ही में जच्चा बच्चा डिपार्टमेंट, सर्जरी विभाग, जेरीऐट्रिक मेडिसिन, प्लास्टिक सर्जरी और बर्न डिपार्टमेंट को हाल ही में अलग करके शुरू किया गया है, जिसकी वजह से बेड की संख्या बढ़ी है.
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नई दिल्ली : भारत के कोने-कोने से देश के सबसे भरोसेमंद अस्पताल एम्स में आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए एक अच्छी खबर है. अब अस्पताल में बेड खाली होने के लिए मरीजों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. AIIMS ने मरीजों की बेहतरी के लिए कुछ नए कदम उठाए हैं.
इनमें से एक सबसे बड़ा कदम यह है कि एम्स में मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ाई जाएगी. जनरल वार्ड में बेड की संख्या 10%, जबकि आईसीयू में 30% तक की जा सकती है. एम्स में बेड बढ़ाने के लिए बजट आवंटन का इंतजार किया जा रहा है यानी मरीजों को राहत की योजनाएं कागजों पर तो उतर आई है, लेकिन उन्हें अमल में आने में अभी कुछ महीने लग सकते हैं.
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एम्स दिल्ली के जनसंपर्क विभाग की प्रमुख डॉ. रीमा दादा ने बताया कि एम्स ने हाल ही में जच्चा बच्चा डिपार्टमेंट अलग से शुरू किया है. इसके अलावा सर्जरी विभाग, बुजुर्ग लोगों के लिए जेरीऐट्रिक मेडिसिन, (Geriatric medicine) प्लास्टिक सर्जरी और बर्न डिपार्टमेंट को हाल ही में अलग करके शुरू किया गया है, जिसकी वजह से बेड की संख्या बढ़ी है. इसके अलावा एम्स में 3000 बेड अलग से बढ़ाए जाएंगे, जिसमें से 300 बेड केवल इमरजेंसी मरीजों के लिए हैं.
भीड़ कम करने के लिए रैनबसेरे बढ़ाए गए
एम्स के मेन गेट और अंदर के कैंपस में मरीजों की भीड़ कम करने के लिए रैनबसेरे बढ़ाए गए हैं, लेकिन गेट पर जमा मरीजों की भीड़ बराबर बनी हुई है. भारत में इस वक्त दिल्ली के अलावा 17 अलग-अलग AIIMS अलग-अलग चरणों में काम कर रहे हैं, लेकिन कई AIIMS पूरी तरह से फंक्शनल न होने की वजह से मरीजों को दिल्ली रेफर कर दिया जाता है.
बिहार के दरभंगा से आए सत्यनारायण मिश्रा 2012 से अलग-अलग बीमारियों के लिए एम्स के चक्कर काट रहे हैं. फाइल मोटी हो चुकी है. एम्स की महीनों और वर्षों की तारीखों के बावजूद इन्हें एम्स के इलाज पर भरोसा है. यहां इलाज से सत्यनारायण मिश्रा का कैंसर ठीक हो चुका है और अब यह दिल की बीमारी का इलाज करवा रहे हैं.
एम्स में मिलेंगी ये सुविधाएं